आजसू सिल्ली और गोमिया दोनों सीटों पर देगी प्रत्याशी
सिल्ली से सुदेश महतो और गोमिया से लंबोदर महतो प्रत्याशी होंगे। दोनों सात मई को नामांकन करेंगे।
By Sachin MishraEdited By: Updated: Tue, 01 May 2018 11:01 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, रांची। एनडीए के घटक दल आजसू ने दो सीटों पर होनेवाले उपचुनाव में गोमिया सीट भाजपा को देने से इन्कार कर दिया है। पार्टी ने सोमवार को पहली बार अधिकृत घोषणा करते हुए कहा कि पार्टी सिल्ली के साथ-साथ गोमिया सीट पर भी अपना प्रत्याशी देगी। पार्टी प्रमुख सुदेश महतो सिल्ली तथा राज्य प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी लंबोदर महतो गोमिया से पार्टी प्रत्याशी होंगे। दोनों प्रत्याशी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में 7 मई को नामांकन दाखिल करेंगे।
भाजपा ने रविवार को बैठक कर यह निर्णय लिया था कि पार्टी गोमिया विधानसभा उपचुनाव में अपना प्रत्याशी देगी, जबकि सिल्ली में आजसू को समर्थन करेगी। भाजपा के इस निर्णय के बाद आजसू ने न केवल दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशियों की अधिकृत रूप से घोषणा कर दी, बल्कि भाजपा को इसकी जानकारी भी दे दी। साथ ही आजसू ने भाजपा को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा।सोमवार को इसकी जानकारी देते हुए पार्टी प्रवक्ता देवशरण भगत, केंद्रीय महासचिव हसन अंसारी, राजेंद मेहता व बीके चांद आदि ने कहा कि आजसू दोनों सीटों पर अपना स्वाभाविक दावा मानती है। दोनों सीटों पर आजसू के प्रत्याशी देने से गठबंधन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह गठबंधन और मजबूत ही होगा क्योंकि आजसू दोनों सीटों पर निश्चित रूप से चुनाव जीतेगी। इसे भाजपा को भी समझना चाहिए। कहा कि छोटे भाई के रूप में आजसू लगातार गठबंधन धर्म निभाती रही है। इस बार भाजपा बड़े भाई के रूप में यह धर्म निभाकर दिखाए। ------------
इस बार झामुमो को काटने नहीं देंगे फसल:पार्टी नेताओं ने कहा कि 2014 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के तहत गोमिया सीट भाजपा के पास चले जाने से झामुमो ने फसल काट ली थी, जबकि वह फसल आजसू ने तैयार की थी। इस बार आजसू ने फसल भी तैयार की है और काटेगी भी। गठबंधन में यह सीट भाजपा के पास जाने के बाद योगेंद्र प्रसाद ने आजसू छोड़कर झामुमो का हाथ थामकर इस सीट पर कब्जा कर लिया था।
अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे भाजपाः आजसू पार्टी
आजसू पार्टी ने भाजपा से अपने उस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की, जिसमें भाजपा ने सिल्ली सीट आजसू को देने और गोमिया सीट पर अपना प्रत्याशी देने की बात कही है। गोमिया में प्रत्याशी देगी भाजपा, सिल्ली में आजसू को समर्थन भाजपा गोमिया विधानसभा उपचुनाव में अपना प्रत्याशी देगी जबकि सिल्ली में आजसू को समर्थन करेगी। गोमिया में भाजपा का प्रत्याशी कौन होगा इस पर आगे विचार किया जाएगा। रविवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में लक्ष्मण गिलुवा की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री रघुवर दास की उपस्थिति में हुई बैठक में इस बाबत सहमति बनी। बैठक में गोमिया के विभिन्न प्रखंडों से आए कार्यकर्ता भी उपस्थित थे। भाजपा ने आजसू के साथ अपने गठबंधन को स्वाभाविक गठबंधन बताया है। बैठक के उपरांत प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश ने कहा कि अलग झारखंड की लड़ाई से लेकर झारखंड गठन के बाद तक भाजपा का आजसू से स्वाभाविक गठबंधन रहा है।पिछला विधानसभा चुनाव भाजपा और आजसू ने गठबंधन के तहत लड़ा था। गोमिया में आजसू ने भाजपा को समर्थन किया था, जबकि सिल्ली में भाजपा ने आजसू का। गोमिया में भाजपा का स्वाभाविक हक बनता है। यहां पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे। गोमिया प्रखंड के कार्यकताओं से भी इस बाबत रायशुमारी की गई है। भाजपा की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया कि भाजपा गठबंधन धर्म का पूरी तरह से पालन करेगी। दोनों दलों के शीर्ष नेताओं से उपचुनाव को लेकर संवाद चल रहा है।गोमिया-सिल्ली में अपनी भूमिका तलाश रही कांग्रेसगोमिया और सिल्ली विधानसभा में उपचुनाव के लिए कांग्रेस अपनी भूमिका तलाशने में जुटी है। पार्टी दोनों क्षेत्रों से चुनाव लड़ने नहीं जा रही, लेकिन कार्यकर्ताओं को जोड़े रखना भी चाहती है। डर यह है किअगर चुनाव से दूर रहे तो कार्यकर्ता बिखर जाएंगे और हो भी कुछ ऐसा ही रहा है। कभी इन क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक हुआ करते थे लेकिन हाल के चुनावों में नाम मात्र के वोट मिलने से पार्टी बैकफुट पर है। झामुमो से समझौता के बाद पार्टी के लिए राज्य में विधानसभा चुनाव होने तक गठबंधन को बनाए रखने की चुनौती है और इसमें कोई हस्तक्षेप होता भी नहीं दिख रहा। कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने के लिए पार्टी ने दो पर्यवेक्षकों को जिम्मा सौंप दिया है जो कार्यकर्ताओं के विचारों से पार्टी को अवगत कराएंगे।रविवार की शाम तक दोनों नेताओं ने अपनी रिपोर्ट भी बना ली है और इसे पार्टी के जोनल पर्यवेक्षक अशोक चौधरी को सौंप चुके हैं। दोनों की रिपोर्ट पर सोमवार को अशोक चौधरी अपनी रिपोर्ट देंगे, जिसमें एक बात तय मानी जा रही है कि कांग्रेस चुनाव लड़ने से दूरी बनाएगी। सवाल यह कि कार्यकर्ताओं की भूमिका क्या होगी। कांग्रेस अपने झंडे के तहत ही झामुमो को समर्थन देगी और पार्टी की तमाम इकाइयों को इसके लिए सक्रिय किया जाएगा।
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