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Alamgir Alam: सरपंच से मंत्री तक आलमगीर ने कैसे तय किया राजनीतिक सफर; जानिए

Alamgir Alam आलमगीर आलम ने जनता के भरोसे और विश्वास पर खरा उतरते हुए पंचायत के सरपंच से झारखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री तक सफर कर लिया है।

By Alok ShahiEdited By: Updated: Mon, 30 Dec 2019 01:29 PM (IST)
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Alamgir Alam: सरपंच से मंत्री तक आलमगीर ने कैसे तय किया राजनीतिक सफर; जानिए
खास बातें

  • 1978 में अपने गृह पंचायत महराजपुर से पहली बार बने सरपंच
  • अविभाजित बिहार में मंत्री, झारखंड विधानसभा अध्यक्ष भी बने आलम
  • बेटा तनवीर आलम वर्तमान में झारखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष 
रांची, [जागरण स्‍पेशल]। Alamgir Alam झारखंड के साहिबगंज जिले के बरहड़वा प्रखंड के इस्लामपुर गांव निवासी आलमगीर आलम ने जनता के भरोसे और विश्वास पर खरा उतरते हुए पंचायत के सरपंच से झारखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री तक सफर कर लिया है। आलमगीर आलम 1978 में अपने गृह पंचायत महराजपुर से सरपंच पद का चुनाव लड़ा और निर्वाचित घोषित किये गये। आलमगीर आलम ने बरहड़वा में लोहे के पाट््र्स की दुकान खोल कर व्यवसाय भी किया। वर्ष 1995 में आलमगीर आलम पाकुड़ विधान सभा से पहली बार कांग्रेस से चुनाव लड़े और भाजपा के बेणी गुप्ता से हार गये।

अपनी हार को जीत में तब्दील करने के लिए आलमगीर आलम ने पाकुड़ की जनता का विश्वास जीतने का लगातार प्रयास किया और 2000 के विधान सभा के चुनाव में भाजपा के बेणी गुप्ता को पराजित कर पहली बार अविभाजित बिहार में विधायक बने। इसके साथ ही वह हस्तकरघा विभाग के राज्य मंत्री बने। 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड अगल राज्य बना। जिसके कारण वह महज छह माह तक ही राज्य मंत्री पद पर रहे।

वर्ष 2005 में पहली बार झारखंड राज्य में विधान सभा चुनाव हुआ। पाकुड़ विधानसभा से आलमगीर भाजपा के बेणी को हराकर फिर विधायक बने। झारखंड में मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की मिलीजुली  सरकार में आलमगीर आलम विधानसभा अध्यक्ष बने। लगभग दो साल तक इस पद पर बने रहे। वर्ष 2009 में झामुमो के अकील अख्तर से आलमगीर आलम चुनाव हार गये। आलम ने हार नहीं मानी और कांग्रेस के संगठन को और मजबूत किया। 2014 में उन्होंने अपनी हार का बदला ले लिया। जीत का उन्हें इनाम भी मिला और वे कांग्रेस विधायक दल के नेता चुने गए।

2019 में विधानसभा चुनाव से पूर्व कई बड़े कांग्रेस नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया। वहीं पाकुड़ से एक बार फिर चुनाव जीतकर आलम ने अपना कद और बढ़ा लिया। यही वजह है कि इस बार हेमंत के बाद शपथ लेने वाले वह पहले मंत्री बने।  

आलमगीर का सफरनामा

  1. आलमगीर आलम का जन्म पैतृक आवास इस्लामपुर में वर्ष 1950 मे हुआ। उनके पिता स्व. शमाउल हक, माता जमीना खातुन हैं।
  2. 1972 में साहिबगंज कॉलेज से स्नातक डिग्री हासिल किया। इसके बाद 1981 में विवाह कर गृहस्थ जीवन व्यतित करने लगे।
  3. वर्ष 1981 में अपने ही गांव इस्लामपुर के ताजु बाबु उर्फ ताजामुल हक की बेटी निशात आलम के साथ आलम का निकाह हुआ।
  4. आलमगीर आलम को एक बेटा तनवीर आलम और एक पुत्री नाजिया आलम है। दोनों शादीशुदा हैं। पुत्र तनवीर आलम की पत्नी अफसाना आलम है व पुत्र आहिल आलम है।
  5. तनवीर आलम वर्तमान में कांग्रेस में सक्रिय हैं तथा कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर है।
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