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Jharkhand: आलमगीर के साथ हो गया 'खेला', इधर कांग्रेस ने दी बड़ी जिम्मेदारी; उधर हाईकोर्ट ने दे दी नई टेंशन

झारखंड विधानसभा नियुक्ति घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश से पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की मुश्किलें बढ़ गई हैं। ईडी के बाद अब सीबीआई भी उन पर शिकंजा कसेगी।बता दें कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए गठित कांग्रेस की चुनाव प्रचार समिति में उन्हें शामिल किया गया है लेकिन उनके जेल में होने के कारण चुनावी अभियान में भाग लेने पर संशय है।

By Pradeep singh Edited By: Mohit Tripathi Updated: Tue, 24 Sep 2024 10:12 PM (IST)
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और बढ़ेगी जेल में बंद पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की मुश्किलें। (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड विधानसभा नियुक्ति घोटाले की सीबीआई जांच कराने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद जेल में बंद पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की मुश्किलें और बढ़ेगी। ईडी के साथ-साथ अब सीबीआइ का शिकंजा भी उनपर कसेगा।

बता दें कि ग्रामीण विकास विभाग के टेंडर कार्य आवंटन घोटाले को लेकर ईडी ने उनकी गिरफ्तारी की थी। जेल जाने के कुछ दिनों के बाद उन्हें मंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा था। आलमगीर आलम को इसकी वजह से कांग्रेस विधायक दल के नेता का पद भी छोड़ना पड़ा।

2009  का ये है मामला

विधानसभा नियुक्ति घोटाले की सीबीआइ जांच की प्रक्रिया जब आगे बढ़ेगी तो, परेशानियों से घिरे कांग्रेस के इस प्रमुख नेता की दिक्कतें बढ़नी तय है।

आलमगीर आलम 20 अक्टूबर 2006 से 26 दिसंबर 2009 तक झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष थे। उनके कार्यकाल में नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुईं थी। तमाम स्थापित नियमों को दरकिनार कर बहालियां की गई।

घोटाले से संबंधित सीडी भी उनके कार्यकाल में ही जारी हुई थी। उनके निर्देश पर विधानसभा की कमेटी भी गठित की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

संकट का सबब बनेगी जस्टिस विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट

जस्टिस विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट में सिलसिलेवार उनके विरुद्ध आरोपों की सूची है, जो आने वाले दिनों में उनके लिए संकट का सबब बन सकता है।

उनके पद संभालने के पूर्व इन्दर सिंह नामधारी स्पीकर थे। नामधारी पर भी विधानसभा नियुक्ति घोटाले में गंभीर आरोप हैं। फिलहाल वे सक्रिय राजनीति से दूर हैं।

कांग्रेस ने चुनाव प्रचार समिति में किया शामिल

आलमगीर आलम को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए गठित कांग्रेस की चुनाव प्रचार समिति में शामिल किया गया है। पार्टी के भीतर यह चर्चा है कि जेल में बंद रहने के कारण वे किस प्रकार चुनावी अभियान में भाग लेंगे।

हालांकि, पार्टी के नेताओं का कहना है कि उन्हें जमानत दी जा सकती है, लेकिन कांग्रेस में उनका विरोधी खेमा यह कहते हुए इसका विरोध कर रहा है कि इससे गलत संदेश जा रहा है।

आलमगीर आलम के आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने पर भी संशय है। इसकी भी चर्चा है कि उनके पुत्र राजनीतिक उत्तराधिकार संभालने के लिए आगे आ सकते हैं।

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