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Amitabh Choudhary: जब अमिताभ चौधरी ने विभागीय मंत्री के खिलाफ लड़ा चुनाव और हासिल की जीत, जानिए पूरी कहानी

Amitabh Choudhary झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अमिताभ चौधरी का आज यानी मंगलवार के दिन निधन हो गया। ये कहानी तब की है जब उन्होंने विभागीय मंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। आप भी जानिए...

By Sanjay KumarEdited By: Updated: Tue, 16 Aug 2022 02:02 PM (IST)
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Amitabh Choudhary: जब अमिताभ चौधरी ने विभागीय मंत्री के खिलाफ लड़ा चुनाव और हासिल की जीत।
रांची, जासं। Amitabh Choudhary झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अमिताभ चौधरी आज यानी मंगलवार को निधन हो गया। अमिताभ चौधरी अपने साहसिक कार्यों और दबंग छवि के लिए भी जाने जाते हैं। आइपीएस अधिकारी के तौर पर उनके कार्यकाल से लेकर क्रिकेट के लिए किए जाने वाले कार्यों तक में इसकी झलक दिखती है। झारखंड राज्य क्रिकेट संघ का अध्यक्ष नहीं होने के बाद भी संघ में उनका ही सिक्का चलता था। उनकी यह खूबी भी थी कि जिस काम को वे हाथ में लेते थे उसे अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लेते थे। इस दौरान बीच में आने वाली अड़चनों की वह परवाह नहीं करते थे। अपने इसी स्वभाव की वजह से वह 2005 में अपने विभागीय मंत्री सुदेश महतो के खिलाफ चुनाव में खड़े हो गए।

झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के इतिहास का यह सबसे रोमांचक चुनाव था। इस चुनाव में तत्कालीन गृहमंत्री सुदेश महतो अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे थे। वहीं आइपीएस अधिकारी अमिताभ चौधरी उनके खिलाफ लड़ रहे थे। विभागीय मंत्री के खिलाफ एक पुलिस अधिकारी का चुनाव लड़ने की घोषणा मात्र से उस साल का चुनाव चर्चा में आ गया।

कई लोगों ने अमिताभ चौधरी को चुनाव लड़ने से रोकना चाहा, लेकिन दबंग प्रवृति के अमिताभ चौधरी कहां मानने वाले थे। वह पूरे दमखम के साथ मैदान में डटे रहे। चुनाव बोकारो में हुआ और उसमें अमिताभ चौधरी ने विभागीय मंत्री के खिलाफ जीत हासिल की। उस चुनाव के बाद चौधरी ने झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के संविधान में कई संशोधन किए जिस कारण कोई भी मंत्री या अधिकारी आवश्यक शर्तें पूरी किये बगैर चुनाव में भाग नहीं ले सकता है।

34वें नेशनल गेम्स के आयोजन में निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका

एक अच्छे प्रशासनिक अधिकारी के रूप में अमिताभ चौधरी को हमेशा याद किया जाएगा। 34वें राष्ट्रीय खेल की मेजबानी 2007 में झारखंड को मिली थी। लेकिन कई विवादों के कारण इसके आयोजन की तिथि कई बार बढ़ी। कई बार भारतीय ओलंपिक संघ के द्वारा चेतावनी भी दी गई। जब लगने लगा कि कही यह आयोजन हाथ से निकल ना जाए। उस समय राज्य के तीन तेज तर्रार अधिकारी सुखदेव सिंह, नीतिन मदन कुलकर्णी व अमिताभ चौधरी को इस आयोजन की जिम्मेदारी दी गई। तीनों के अथक प्रयास व परिश्रम से राष्ट्रीय खेल का आयोजन विवादों के बीच अच्छी तरह से हो गया।

झारखंड ओलंपिक संघ के तत्कालीन महासचिव एसएम हाशमी ने बताया कि भले ही आयोजन में विवाद था लेकिन तीन सदस्यीय कमेटी में जो काम किया वह हमेशा याद किया जाएगा। हाशमी ने बताया कि उस समय हमें उनके कार्य करने का तरीका पता चला। खेल का सफल आयोजन हो इसके लिए वे दिन रात लगे रहते थे। वे कहते थे कि कोई काम अगर आपने हाथ में लिया है तो उसे सफलतापूर्वक संपन्न कराना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

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