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कैसे मनाएंगी दुर्गापूजा? केद्रांश से 2542 आंगनबाड़ी सेविकाओं को 6 माह तो 2236 सहायिकाओं को 4 माह से मानदेय नहीं

Palamu News झारखंड के पलामू जिले में आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाओं को आधा मानदेय मिल रहा है जिससे वे आर्थिक संकट से जूझ रही हैं। केंद्र सरकार की ओर से बजट का आवंटन नहीं मिलने से सेविकाओं को छह माह तो सहायिकाओं को चार माह से केवल आधा मानदेय ही मिला है। इससे उनके समक्ष आर्थिक परेशानी खड़ी हो गई है।

By Sachidanand Kumar Edited By: Yogesh Sahu Updated: Thu, 03 Oct 2024 05:16 PM (IST)
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मानदेय नहीं मिलने से आंगनबाड़ी सेविकाओं-सहायिकाओं के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है।
सच्चिदानंद, मेदिनीनगर (पलामू)। समाज कल्याण विभाग में आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका आधा मानदेय पर कार्य कर रहे हैं। संविदा के आधार पर कार्यरत आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका अपने दायित्वों का निरंतर निर्वहन कर रहे हैं। इसमें सेविकाओं को छह माह तो सहायिकाओं को चार माह से आधा मानेदय मिल रहा है।

इससे उनके समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। हाल यह है कि उनको दुकानदार भी राशन देने से इंकार कर रहे हैं। उनको बच्चों की पढ़ाई, घर-गृहस्थी चलाने में काफी परेशानी हो रही है। आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका लगातार अपने विभाग से बकाया मानदेय के भुगतान की गुहार लगा रही हैं।

बावजूद नतीजा शून्य है। उनका कहना है कि नवरात्र शुरु हो चुका है। नौ दिन बाद दुर्गा पूजा होगा। उसके बाद दीपावली, छठ भी आएगा । ऐसे में उनलोग आधा मानदेय के कैसे दुर्गा पूजा मनाएंगे? दरअसल आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका को केंद्र सरकार व राज्य की ओर से अलग-अलग मानेदय दिया जाता है।

जिसमें केंद्र सरकार की ओर से आवंटन नहीं दिए जाने से सेविकाओं को मार्च तो सहायिकाओं को अप्रैल माह से मानदेय नहीं मिला है। जबकि राज्य सरकार की ओर से जुलाई तक का ही मानदेय दिया गया है।

जिले में 2542 आंगनबाड़ी सेविका व 2236 सहायिका कार्यरत

पलामू जिले में कुल 14 समेकित बाल विकास परियोजना संचालित है। जिसके अंतर्गत कुल 2595 आंगनबाड़ी केंद्र है। जिसमें 2286 बड़ा आंगनबाड़ी केंद्र और 309 छोटा आंगनबाड़ी केंद्र है। बड़ा आंगनबाड़ी केंद्र में एक सेविका और एक सहायिका का पद स्वीकृत है।

जबकि छोटे आंगनबाड़ी केंद्रों में सहिया का पद नहीं होता है। जहां 2542 आंगनबाड़ी सेविका व 2236 आंगनबाड़ी सहायिका कार्यरत है। केंद्र सरकार की ओर से बड़ा आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका को 4500 रुपया, सहायिका को 2250 रुपया जबकि छोटा आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका को 3500 रुपया मानदेय दिया जाता है।

राज्य सरकार की ओर से बड़ा आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका को 5000 रुपया, सहायिका को 2500 रुपया जबकि छोटा आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका को 6000 रुपया मानदेय दिया जाता है। इसमें केंद्र सरकार की ओर से आवंटन नहीं मिलने से आंगनबाड़ी सेविकाओं को छह माह तो सहायिकाओं को चार माह से मानदेय नहीं दिया गया है।

मानदेय नहीं मिलने से आर्थिक स्थिति डांवाडोल

पाटन प्रखंड अंतर्गत किशनुपर आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका गीता देवी का कहना है कि केंद्रांश का अप्रैल से और राज्यांश से अगस्त माह से मानदेय नहीं मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति डांवाडोल है। बच्चों के पठन-पाठन से लेकर घर चलाना मुश्किल हो गया है। अगर यही स्थिति रही तो दुर्गा पूजा, दीपावली, छठ पर्व कैसे मनेगा?

मानदेय नहीं मिलने से स्थिति खराब

पाटन प्रखंड अंतर्गत किशनुपर आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका आरती देवी का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से चार माह का मानदेय और राज्य सरकार की ओर से दो का मानदेय भुगतान नहीं किया गया है। मानदेय नहीं मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। अभी तो सभी पर्व, त्योहार का आना शेष है।

केंद्र सरकार की ओर से मानदेय नहीं मिलने से सेविका को अप्रैल तो सहायिका को जून माह से मानदेय नहीं मिला है। राज्य सरकार की ओर से अगस्त, सितंबर माह का आवंटन जिला को मिल गया है। जिसका एक साथ भुगतान दुर्गा पूजा के पूर्व कर दिया जाएगा। - नीता चौहान, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, पलामू

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