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चुनाव से पहले झारखंड में कांग्रेस को एक और झटका, बड़े नेता ने पार्टी को कह दिया अलविदा; खुद बताई इस्तीफे की वजह

Jharkhand Assembly Election विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड में कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। पार्टी के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष ने पार्टी का साथ अब छोड़ दिया है। अब कयास लगाया जा रहा है कि वह जल्द ही भाजपा का हाथ थाम सकते हैं। हालांकि आधिकारिक रूप से इस बात की अब तक पुष्टि नहीं हो पाई है।

By Ashish Jha Edited By: Mukul Kumar Updated: Mon, 28 Oct 2024 10:56 AM (IST)
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चुनाव से पहले झारखंड में कांग्रेस को एक और झटका
जागरण संवाददाता, रांची। कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष मानस सिन्हा ने पार्टी छोड़ दी है।  उनके बारे में कयास लगाया जा रहा है कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। रविवार की देर रात एक बजे के बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देने से संबंधित पत्र सार्वजनिक किया।

अपने त्याग पत्र में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष को लिखा कि पिछले 27 सालों से वह कांग्रेस के साथ जुड़े रहे। पार्टी ने उन्हें जो काम दिया, उसे उन्होंने पूरी इमानदारी के साथ पूरा किया और हमेशा यह कोशिश रही कि उसे किसी भी तरह से पूरा किया जाए।, लेकिन उनकी मेहनत को पार्टी ने कोई महत्व नहीं दी। 

मानस सिन्हा ने आगे लिखा कि यह चौथी बार है, जब पार्टी ने उन्हें अपमानित किया है। बर्दाश्त करने की मेरी भी एक क्षमता है और अब यह महसूस होता है कि बर्दाश्त करने की सारी सीमाएं पार हो चुकी हैं। अब तक मैं कांग्रेस के लिए सोच रहा था, लेकिन अब मैं सिर्फ अपने लिए सोचूंगा। इसलिए, मैं कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा देता हूं।

पिछली गलतियों से सीख लेकर कांग्रेस ने हवा-हवाई उम्मीदवारों से बनाई दूरी

कांग्रेस ने पिछले चुनाव की गलतियों से सीख लेते हुए उम्मीदवारों के चयन का तरीका बदला है और इस विधानसभा चुनाव में आसमानी उम्मीदवारों से दूरी बनाई गई है। अचानक से चुनावी सीन में टपकनेवाले उम्मीदवारों को इस बार दूर ही रखा गया है।

पिछले कुछ चुनावों के अनुभव से कांग्रेस को यह सीख मिली जिसे धरातल पर उतारा जा रहा है। पार्टी ने इस बार एक भी हवा-हवाई उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है। जिन्हें टिकट मिला है उनके नाम की सिफारिश जिलों से ही की गई है।

आलाकमान ने भी इसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया है जिसका लाभ जमीनी कार्यकर्ताओं को मिला है। कांग्रेस को यह ज्ञान गणेश परिक्रमा कर टिकट हथियानेवाले नेताओं से मुक्ति मिलने के बाद आया है। पार्टी के आधा दर्जन उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई तो उनकी सक्रियता पर सवाल उठने लगे।

इस तरह कांग्रेस को हुआ था गलती का एहसास

ऐसे मामलों की जांच के क्रम में पाया गया कई ऐसे नेताओं को टिकट मिल गया जिन्हें आम जनता कम ही जानती थी। काईकमान के निर्देश पर सीधे इनकी लैंडिंग हुई थी। ऐसे नेताओं ने जमशेदपुर से लड़ने वाले गौरव वल्लभ प्रमुख रहे।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के इस प्रवक्ता की जमानत जब्त होने के बाद समीक्षा हुई तो कांग्रेस को अपनी गलती का एहसास हुआ। इसी प्रकार भवनाथपुर से मैदान में उतारे गए उम्मीदवार केपी यादव रहे।

यादव की जमानत जब्त होने के बाद झामुमो ने कांग्रेस के ऊपर दबाव बनाया और यह सीट गठबंधन से झामुमो के हिस्से में चली गई। इसी प्रकार कांग्रेस के हाथ से जमुआ विधानसभा की सीट भी निकल गई। गठबंधन में अपने हिस्से की दो सीटें गंवाने के बाद कांग्रेस को झटका लगा और पार्टी ने रणनीति बदली।

2019 के विधानसभा चुनाव के कुछ पहले हुए लोकसभा चुनाव में धनबाद सीट से कीर्ति झा आजाद को उतारा गया था, जिनकी जमानत भी जब्त हो गई थी। इन्हीं गलतियों से सबक लेते हुए पार्टी ने अब रणनीतिक बदलाव किया है।

इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हीं उम्मीदवारों को टिकट दिया है जिन्हें जमीनी स्तर पर आम कार्यकर्ताओं से लेकर मतदाता तक पहचानते हैं और अभी तक 30 में से 28 सीटें वैसी ही हैं। धनबाद और बोकारो की दो सीटों पर पार्टी ने किसी उम्मीदवार को अभी तक उतारा नहीं है।

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