क्रिप्टो करेंसी पर जागरूकता की जरूरत, बन सकते हैं ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी में मार्केट लीडर
इक़्फाई विश्वविद्यालय झारखंड में संकाय सदस्यों ने भारत में क्रिप्टो मुद्राओं का भविष्य पर परिचर्चा की
जासं, रांची : इक़्फाई विश्वविद्यालय झारखंड में संकाय सदस्यों ने भारत में क्रिप्टो मुद्राओं का भविष्य विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया। जिसके बाद विशेषज्ञों द्वारा एक पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। विशेषज्ञ पैनलिस्ट में रोहित त्रिपाठी, अतुल अग्रवाल, ललित त्रिपाठी, राकेश कुमार शामिल रहे। समारोह में विवि के कुलपति प्रो ओआरएस राव ने विषय के बारे लोगों को जानकारी दी। कहा कि पिछले दस वर्षों में बिटक्वाइन की लांचिग के बाद पूरे विश्व में 11 हजार से अधिक क्रिप्टो करेंसी प्रचलन में है। 2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के कुल मूल्य जिसमें बिटक्वाइन का हिस्सा 50 प्रतिशत से अधिक है। प्रो राव ने कहा कि क्रिप्टो मुद्रा और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के चलन को ले संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र में एक विधेयक पेश करने की योजना है। क्रिप्टो करेंसी पर जागरूकता बढ़ाने और विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए परिचर्चा का आयोजन किया गया। प्रो आलोक कुमार, डा गौतम तांटी और प्रो मनोहर कुमार सिंह ने कानूनी मुद्दों, निवेशक परिप्रेक्ष्य और निवेशक हितों के बारे समझाया। विवि के दो छात्रों ने निजी क्रिप्टो मुद्रा शुरू करने के पक्ष में बात की। दुनिया की शीर्ष 150 क्रिप्टो मुद्राओं में से एक भारत से है : विशेषज्ञ पैनलिस्ट के रूप में रोहित त्रिपाठी ने कहा कि दुनिया की शीर्ष 150 क्रिप्टो मुद्राओं में से एक भारत से है। मुद्रा से परे जाकर यह वेब 3.0, ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी में मार्केट लीडर बनने का अवसर प्रदान करता है। अतुल अग्रवाल ने कहा किसी भी नवाचार पर प्रतिबंध लगाना एक विकल्प नहीं है क्योंकि यदि नवाचार आकर्षक है तो लोग इसके आसपास हो जाएंगे। ललित त्रिपाठी ने कहा आज के शब्दों में, ज्ञान ही शक्ति है और कोई भी निर्णय लेने से पहले ब्लॉक चेन जैसी नवीन तकनीकों के बारे में जागरूकता पैदा करना जरूरी है। परिचर्चा के समापन के बाद प्रो आलोक कुमार, डा गौतम तांटी, प्रो मनोहर सिंह को सम्मानित किया गया। जबकि वाद विवाद में श्रद्धा प्रकाश, प्रियांशु, सिद्धि बोरा को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।