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Ayodhya Ram Mandir Donation: वन में राम, मन में राम, सुंदर बने उनका धाम; दोनों हाथों से दान दे रही आदिम जनजाति

Ayodhya Ram Mandir Donation अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के निर्माण में सहयोग कर आदिम जनजाति परिवार के लोग भी खुद को सौभाग्यशाली मान रहे हैं। भगवान राम से इनका पुराना नाता है। वनवास की अवधि के दौरान राम जनजातीय समाज के साथ जंगलों में रहे थे।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 10:38 PM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 10:39 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir Donation लातेहार की आदिम जनजाति परहिया, खेरवार, बिरहोर और गुमला के बिरिजिया जनजाति समाज ने दान दिया।

रांची, [संजय कुमार]। Ayodhya Ram Mandir Donation अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के निर्माण में सहयोग कर आदिम जनजाति परिवार के लोग भी खुद को सौभाग्यशाली मान रहे हैं। भगवान राम से इनका पुराना नाता है। वनवास की अवधि के दौरान राम जनजातीय समाज के साथ जंगलों में रहे थे। राम मंदिर निर्माण को लेकर चल रहा निधि समर्पण अभियान उन्हें रोमांचित करता है।

झारखंड के जंगलों व पहाड़ों के बीच में रहने वाले जनजातीय परिवारों के बीच निधि समर्पण अभियान में लगी टोली पहुंची तो सबने पलकें बिछाकर स्वयंसेवकों का स्वागत किया। श्रद्धा और आस्था की भी बातें हुईं। कई लोगों की आंखें नम हो गई। कहा, जिस रामजी के साथ 14 वर्षों तक हमारे पूर्वज साथ रहे उनके मंदिर निर्माण में सहयोग करने का हमलोगों को आपलोगों ने मौका दिया इसके लिए जीवन भर आभारी रहूंगा। अपने उद्गार प्रकट करते हुए कहा कि वनवासी चाहते हैैं कि उनके राम का धाम सबसे सुंदर बने।

लातेहार के आदिम जनजाति परहिया, खेरवार, बिरहोर और गुमला के बिरिजिया जनजाति समाज के लोगों ने कहा - इस जंगल में आता कौन है। अहो भाग्य मेरा कि मेरे गांव में प्रभु राम के लिए कोई आए हैं। देने की इच्छा तो बहुत है, लेकिन घर में कुछ है नहीं। हमलोगों से जो बन रहा, रामकाज के लिए समर्पण कर रहा हूं। हमारे पूर्वज भी धन्य हो गए। यह सुखद पल  में देखने को मिला।

कई किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे लोग

लातेहार सदर प्रखंड के सुदूर पहाड़ों से घिरा गुड़पानी गांव में आदिम जनजाति परहिया के सैकड़ों परिवार रहते हैं। कई किलोमीटर पैदल चलकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यकर्ता दीपक ठाकुर, राम गणेश सिंह व वीरेंद्र प्रसाद जब इस गांव में पहुंचे तो गांव के चमन परहिया ने कहा, भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के दौरान हमारे पूर्वज उनके साथ रहे।

उनके मंदिर के लिए धन देना हमारे लिए सौैभाग्य की बात है। कलेशर परहिया ने कहा, हमलोग उन जंगलों के बीच निवास करते हैं जहां ऋषि-मुनि तपस्या करते थे और हमारे पूर्वजों को आशीर्वाद देते थे। हमारे पूर्वज धर्म की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहे हैं। महाभारत युद्ध के समय भी हमारे पूर्वज पांडव के साथ थे। अभियान के दीपक ठाकुर ने कहा कि ऐसे रामभक्तों से मिलकर मन प्रफुल्लित हो गया। अभियान में जुटे कई स्वयंसेवक भी भाव विह्वल हुए।

धर्म और संस्कृति को छोड़ नहीं सकते

लातेहार के होसीर गांव में चेरो जनजाति के बीच जब मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए लोग पहुंचे तो सभी ग्रामीणों ने खुलकर सहयोग किया। कहा, चेरो जनजाति के वंशज चमन ऋषि हैं। इसलिए उनका गोत्र चमन ऋषि हैं। उनका आराध्य देव भगवान राम हैं। हम अपने धर्म और संस्कृति को कभी छोड़ नहीं सकते हैं। हमारा जीवन की धर्म से जुड़ा है। धर्म बिना संस्कार नहीं आता है। दान देना हमारे संस्कार का विषय है।

वहीं लातेहार के बिनगाड़ा गांव में आदिम जनजाति बिरहोर परिवार के बीच जब मंदिर निर्माण में सहयोग लेने के लिए लोग पहुंचे तो मुन्ना बिरहोर, लखन बिरहोर, सुमिता बिरहोर ने घर में जो रुपया था, लाकर दिया। कहा, देने की तो बहुत इच्छा है, लेकिन जो बन पा रहा है दे रहा हूं। लोगों ने 10 रुपये से लेकर 100 रुपये तक की राशि दी। इस अभियान में शहीद नीलांबर-पितांबर के वंशज लगातार सहयोग कर रहे हैं। कोमल सिंह खेरवार को प्रखंड अभियान संयोजक बनाया गया है।


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