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बाबूलाल मरांडी ने झारखंड ऊर्जा संचरण पर लगाया अनियमितता का आरोप, हेमंत सोरेन को पत्र लिख कर दी ये मांग

झारखंड के पूर्व बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। बाबूलाल मरांड का दावा है कि झारखंड ऊर्जा संचरण ने एक निविदा निकाली है। इसे झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया है। उनका दावा है कि आयोग के अनुसार अभी इसकी कोई जरूरत नहीं है। ऐसे में आयोग के अनुमोदन के बिना निविदा निकालना सरकारी राशि का दुरुपयोग करना है।

By Pradeep singhEdited By: Shashank ShekharUpdated: Sat, 07 Oct 2023 09:14 PM (IST)
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बाबूलाल मरांडी ने झारखंड ऊर्जा संचरण पर लगाए अनियमितता के आरोप
राज्य ब्यूरो, रांची। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने झारखंड ऊर्जा संचरण पर अनियमितता का आरोप लगाया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को उन्होंने इस संदर्भ में शनिवार को एक पत्र लिखा है।

बाबूलाल मरांडी का दावा है कि संचरण निगम ने एक निविदा निकाली है, जिसे झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा अनुमोदन नहीं किया गया है।

उनके मुताबिक, आयोग के अनुसार अभी इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। दो ग्रिड सबस्टेशन चांडिल व कोडरमा के लिए निविदा निकाली गई है। इसकी अनुमानित लागत क्रमशः 169 करोड़ व 213 करोड़ रुपये हैं।

इस तरीक से निविदा निकाला गलत- बाबूलाल

आयोग के अनुमोदन के बिना निविदा निकालना सरासर सरकारी राशि का दुरुपयोग है। बिजली दर निर्धारण के समय यह खर्च न्यायसंगत नहीं होने के कारण इसको उचित खर्च नहीं माना जाएगा और इस पर आयोग के द्वारा टैरिफ निर्धारण में कोई विचार नहीं किया जायेगा।

उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में आयोग के द्वारा 175 करोड़ रुपये का थ्रेस होल्ड लिमिट तय किया गया है। इसके अलावा बलियापुर व अन्य जगहों के लिए निविदा निकाली गई है, जिस पर आयोग का अनुमोदन नहीं प्राप्त किया गया है। ये सारा कार्य नियम-कानून को ताक पर रख कर किया जा रहा है।

ऊर्जा संचरण निगम ने बताया आरोप को निराधार

बाबूलाल मरांडी के आरोपों पर झारखंड ऊर्जा संचरण निगम ने स्पष्ट किया है कि राज्य विद्युत नियामक आयोग से 26 फरवरी 2016 को ही पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) की स्वीकृति ली जा चुकी है।

इससे संबंधित कागजात भी उपलब्ध है। उस समय पतरातू में थर्मल पावर स्टेशन बनाने की मंजूरी मिली थी, तभी पीपीए किया गया था।

इसी के तहत ही ट्रांसमिशन लाइन व ग्रिड का निर्माण होना है ताकि पतरातू प्लांट से बिजली लेकर अन्य जगहों पर उसका वितरण किया जा सके।

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पावर प्लांट से पीपीए के पूर्व केंद्रीय विद्युत मंत्रालय, सीइए और राज्य सरकार से भी अनुमति लेने की प्रक्रिया पूरी की जाती है, इन परियोजनाओं के संदर्भ में भी की गई है।

बिजली दर और टैरिफ की रेट 3.10 रुपये तक फिक्स हो चुका है। इसमें अनियमितता संबंधी आरोप निराधार और तथ्यों से परे है। ऐसे आरोप लगाने से पूर्व किसी तकनीकी जानकारी से मशविरा कर लेना चाहिए था। पूरी प्रक्रिया में नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया गया है।

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