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Champai Soren: 'अब उनका दर्द सामने आया', चंपई सोरेन पर बोले बाबूलाल मरांडी; BJP में एंट्री पर दिया क्लियर जवाब

Jhakhand Politics झारखंड में चंपई सोरेन को लेकर मच रहे सियासी भूचाल के बीच झारखंड भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने चंपई सोरेन के भाजपा के शामिल होने पर जवाब देने से इनकार कर दिया है। मरांडी ने रविवार को चंपई सोरेन की उस पोस्ट का जिक्र भी किया जिसमें उन्होंने भावुक बाते लिखी थीं।

By Agency Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Mon, 19 Aug 2024 04:51 PM (IST)
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चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने पर बाबूलाल मरांडी ने नहीं दिया कोई जवाब
एएनआई, रांची। Jharkhand Political News झारखंड में जारी सियासी भूचाल और चंपई सोरेन को लेकर जारी अटकलों के बीच सोमवार को झारखंड भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने बड़ा बयान दिया है।

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने चंपई सोरेन के एक्स पर पोस्ट का जिक्र करते हुए कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान उनका अपमान किया गया था। मरांडी ने कहा कि जिस तरह से उन्होंने पोस्ट लिखा है, उससे उनका दर्द दिख रहा है।

बाबूलाल मरांडी ने किया दावा 

उन्हें सीएम पद से हटाया गया, उससे वे बहुत दुखी हैं और अब उनका दर्द बाहर आ गया है। बाबूलाल मरांडी ने दावा किया है कि हेमंत सोरेन के सत्ता में आने के बाद से जेएमएम का कोई भी नेता सामने नहीं आ पाया है।

मरांडी ने यह भी कहा कि साल 2020 में हेमंत सोरेन के सत्ता में आने के बाद से हम देख सकते हैं कि झामुमो का कोई दूसरा नेता सामने नहीं आया है। झामुमो में चंपई सोरेन जैसे कई नेता हैं, लेकिन चर्चा सिर्फ हेमंत सोरेन की होती है। चंपई सोरेन का दुखी होना स्वाभाविक है।

चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर बाबूलाल मरांडी ने जवाब देने से परहेज किया। उन्होंने कहा कि मैं आपको नहीं बता सकता कि वे अपने परिवार से मिलने दिल्ली गए थे और जब कोई व्यक्ति दर्द में होता है, तो वे अक्सर अपने परिवार से मिलने जाते हैं।

रविवार को चंपई सोरेन ने किया था एक्स पर पोस्ट

बता दें कि रविवार को चंपई सोरेन ने एक्स पर अपने झामुमो से नाराजगी की वजह बताई थी। उन्होंने कई ऐसे कारण बताए थे जिसस कारण वे पार्टी से काफी नाराज भी हुए। चंपई सोरेन ने बताया कि उन्हें विधायक दल की बैठक बुलाने की अनुमति नहीं दी गई और उनसे अचानक इस्तीफा देने के लिए कहा गया, इस कारण उन्हें वैकल्पिक रास्ता तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ा।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार है, लेकिन मुझे बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया। बैठक के दौरान मुझसे इस्तीफा देने को कहा गया। मुझे आश्चर्य हुआ, लेकिन मुझे सत्ता का कोई लालच नहीं था और इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया। मेरे स्वाभिमान पर जो आघात हुआ और उससे मेरा मन भावुक हो गया।

मेरे साथ किए गए अपमानजनक व्यवहार से मैं इतना भावुक हो गया था कि मैं अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उन्हें तो बस कुर्सी से मतलब था। मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे उस पार्टी में मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं है। इस बीच कई ऐसी अपमानजनक घटनाएं घटीं, जिनका जिक्र मैं अभी नहीं करना चाहता। इतने अपमान और तिरस्कार के बाद मुझे मजबूरन वैकल्पिक रास्ता तलाशना पड़ा।

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