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तनिक गरीबों के लिए भी सोचें... बाबूलाल ने कपिल सिब्‍बल को लिखा पत्र, झारखंड की इन बेटियों को इंसाफ दिलाने की कर दी मांग

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल को एक पत्र लिखा। इसमें उन्‍होंने अपने आदिवासी प्रेम को अमीरों तक सीमित नहीं रख गरीबों को भी न्‍याय दिलाने की उन्‍हें सलाह दी है। बाबूलाल ने यह भी कहा है कि अगर वह ऐसा करते हैं तो उनकी पहचान बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के समानांतर होगी।

By Dibyanshu Kumar Edited By: Arijita Sen Updated: Thu, 22 Feb 2024 09:03 AM (IST)
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बाबूलाल मरांडी और कपिल सिब्‍बल की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, रांची। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल को पत्र लिखकर साहिबगंज में मारी गई रूबिका पहाड़िया समेत अनेक आदिवासियों को न्याय दिलाने की मांग की है।

क्‍लाइंट के पक्ष में आए फैसला तो सब ठीक

अपने पत्र में बाबूलाल मरांडी ने लिखा है कि पिछले कई दिनों से आपके वक्तव्य, विचार और दलील से जुड़े भड़ास कोर्ट से लेकर यूट्यूब चैनल और मीडिया में देख रहा हूं।

वे उनका सम्मान करते हैं लेकिन उनकी असहमति इस बिंदु पर है कि उन्हें मनोनुकूल फैसला नहीं मिलने पर राजनीति और पक्ष-विपक्ष दिखाई देने लगता है। मोटी रकम लेकर लड़े जा रहे मुकदमों में जब फैसला क्लाइंट के पक्ष में आता है तो सब कुछ ठीकठाक लगता है।

आपका प्रेम अमीरों तक ही सीमित: बाबूलाल मरांडी

कपिल सिब्बल के एक यूट्यूब इंटरव्यू का हवाला देते हुए बाबूलाल मरांडी ने लिखा है कि आप आदिवासी हितैषी बनने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। अगर ऐसा है तो रुबिका पहाड़िन, दारोगा संध्या टोप्पो के मामले को भी बिना फीस के लड़ना चाहिए।

उमेश कच्छप की बेटी सालों से अपने पिता को न्याय दिलाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा रही है। आरोप लगाया कि आपका ये प्रेम सिर्फ अमीरों तक ही सीमित है और वहीं गरीबों की पहुंच में आपके मुंशी और बाबू भी नहीं आते।

— Babulal Marandi (@yourBabulal) February 21, 2024

बाबा साहब जैसी होगी पहचान

अगर आप इनके जैसे बेसहारा सौ दलित-आदिवासियों के साथ भी खड़े हो जाएं, बिना पैसा लिए चार्टर्ड जहाज से आकर मुफ्त में उनके लिए लड़कर न्याय दिला दें तो राज्य में आप बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के समानांतर पहचान बनाएंगे।

अपने क्लाइंट की तारीफ करने में आप ऐसे खो गए कि ये भी याद नहीं रहा कि भाजपा ने झारखंड राज्य के निर्माण के साथ-साथ राज्य के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री के तौर पर मुझे मौका दिया और उसके बाद शिबू सोरेन और अर्जुन मुंडा भी राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं।

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