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Bakrid Mubarak 2023: ईद उल अजहा आज, पढ़ी जाएगी नमाज फिर होगी कुर्बानी; क्या है बकरीद का महत्व?

ईद उल अजहा यानी बकरीद का पर्व इस्लाम धर्म को मानने वाले लोगों का प्रमुख त्योहार माना जाता है। असल कुर्बानी अपने अंदर की बुराई ईर्ष्या बुरे ख्वाहिशात की कुर्बानी देना है। इस बार ईद उल अजहा गुरुवार को यानी 29 जून को मनाया जाना है। जिले के विभिन्न ईदगाह व मस्जिदों में ईद उल अजहा की नमाज पढ़ी जाएगी तत्पश्चात बकरे की कुर्बानी दी जाएगी।

By uday kumarEdited By: Yashodhan SharmaUpdated: Thu, 29 Jun 2023 12:29 AM (IST)
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ईद उल अजहा आज, पढ़ी जाएगी नमाज फिर होगी कुर्बानी; क्या है बकरीद का महत्व?
संवाद सहयोगी, रांची: ईद उल अजहा यानी बकरीद का पर्व इस्लाम धर्म को मानने वाले लोगों का प्रमुख त्योहार माना जाता है। असल कुर्बानी अपने अंदर की बुराई, ईर्ष्या बुरे ख्वाहिशात की कुर्बानी देना है।

बता दें कि इस्लामिक मान्यता के अनुसार, प्रोफेट हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तभी अल्लाह ने उनके पुत्र की जगह जन्नत से आया एक दुंबा कुर्बान हो गया। उन्हीं की याद में यह पर्व कुर्बानी मनाया जाता है।

इस बार ईद उल अजहा गुरुवार को यानी 29 जून को मनाया जाना है। जिले के विभिन्न ईदगाह व मस्जिदों में ईद उल अजहा की नमाज पढ़ी जाएगी, तत्पश्चात बकरे की कुर्बानी दी जाएगी।

क्या है बकरीद का महत्व

ईद-उल-अजहा को बकरीद इसलिए कहा जाता है, क्योंकि मुसलमान ईद-उल-अजहा के मौके पर बकरे या दुंबे-भेड़ की कुर्बानी करते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा ईद-उल-अजहा को कहीं भी बकरीद नहीं कहा जाता है।

ईद-उल-अजहा का यह नाम बकरों की कुर्बानी करने की वजह से पड़ गया। इस अवसर पर सर्वप्रथम उपवास रख रोजे की हालत में नमाज अदा की जाती है, तत्पश्चात कुर्बानी दी जाती है।

तीन हिस्सों में बांटा जाता है गोश्त

कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। इसमें से एक हिस्सा गरीबों को जबकि दूसरा हिस्सा दोस्तों और सगे संबंधियों को दिया जाता है। वहीं तीसरे हिस्सा अपने परिवार के लिए रखा जाता है।

क्लान्द्रिया एसोशिएशन ट्रस्ट के सलाहकार मो. फ़ैज़ वारसी ने बताया की मीठी ईद के बाद मनाए जाने वाला त्योहार बकरीद को ईद-उल-अजहा या ईद-उल-जुहा भी कहा जाता है।

बकरीद लोगों को सच्चाई की राह में अपना सबकुछ कुर्बान कर देने का संदेश देती है। असल कुर्बानी अपने अंदर की बुराई, ईर्षा बुरे ख्वाहिसात की कुर्बानी है। क्योंकि अल्लाह हमारे नियतों इरादों को जानता है। 

नमाज की समय सारणी

जलवाबाद ईदगाह 7 बजे,   बेलाल मस्जिद 7 बजे,  छतबर ईदगाह साढ़े 6 बजे,  हसनाबाद मस्जिद 7 बजे,  भादोडिह ईदगाह 7 बजे,  भादोडिह मस्जिद 7.15 बजे

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