Basic infrastructure: झारखंड का एक ऐसा गांव, जहां आज भी ना सड़क है, ना बिजली, ना स्वच्छ पानी, बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जी रहे लोग
Basic infrastructure ऐसा भी नहीं है कि ग्रामीणों ने गांव के विकास के लिए बुनियादी सुविधा के लिए जिला प्रशासन से अनुरोध नहीं किया हो। लेकिन अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने कभी इस गांव के लोगों की सुध नहीं ली। फोरी जुंगाटोली से होकर खटवा नदी गुजरती है।
गुमला, जासं। सरकार विकास का जितना भी दावा कर ले, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आजादी के कई दशक बाद भी तस्वीर नहीं बदली है। बीमार होने पर लोग बहंगी पर बैठाकर ले जाते हैं। गांव तक वाहन नहीं पहुंच पाती है। नदी में पुल नहीं होने के कारण गांव टापू बन जाता है। ऐसा ही एक गांव है गुमला प्रखंड के फोरी जुंगाटोली है। जिला मुख्यालय से महज आठ किमी. की दूरी पर स्थित इस गांव दशा आजादी के कई दशक बीत जाने के बाद भी नहीं बदली।
आजादी के सात दशक बाद भी नहीं बदली गांव की सूरत
ऐसा भी नहीं है कि ग्रामीणों ने गांव के विकास के लिए , बुनियादी सुविधा के लिए जिला प्रशासन से अनुरोध नहीं किया हो। लेकिन अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने कभी इस गांव के लोगों की सुध नहीं ली। फोरी जुंगाटोली से होकर खटवा नदी गुजरती है। इस नदी पर पुल नहीं है। बरसात के दिनों में आवागमन पूर्ण से बाधित हो जाती है। स्कूली बच्चें भी बरसात में छुट्टी मनाते हैं। बीमार होने पर बहंगी पर बैठाकर नदी पार करना पड़ता है और फिर कच्ची सड़क तक आना पड़ता है।
गांव में बिजली भी नहीं है
2016 के बाद से गांव में बिजली नहीं है। विभाग को कई बार ग्रामीणों ने अनुरोध किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। सड़क भी नहीं है। कच्ची सड़क है ,जगह जगह गड्ढा बना हुआ है। बरसात में आवागमन खतरा से कम नहीं रहता। गांव में पेयजल सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। ग्रामीणों ने उपायुक्त को पत्र देकर गांव की समस्या से अवगत कराते हुए बुनियादी सुविधा बहाल कराने का अुनरोध किया है। अनुरोध करने वालों में बालकू उरांव, बादल उरांव, राजू उरांव, इंद्रदेव लकड़ा, धीरत चीक बड़ाइक, मुकेश उरांव, महावीर उरांव, कार्तिक उरांव, बिरसाई उरांव, छोटन उरांव, अजीत उरांव, सुखराम उरांव, मणि उरांव आदि शामिल हैँ ।