RO Filter के पानी से कम नहीं बटेश्वर मंदिर के हैंडपंप का जल, गर्मी में भी नहीं सूखता
Jharkhand News Chatra Samachar इस हैंडपंप की पानी से लोग अपनी प्यास के साथ तृप्ति भी मिटाते हैं। यह हैंडपंप 300 सौ लोगों के लिए पानी का एकलौता सहारा है। जाति व धर्म का यहां कोई भेद नहीं है। यह सभी को तृप्त कर रहा है।
गिद्धौर (चतरा), [लक्ष्मण दांगी]। गिद्धौर प्रखंड के बटेश्वर शिव मंदिर परिसर में लगा हैंडपंप का पानी किसी भी दृष्टिकोण से आरओ फिल्टर वाटर से कम नहीं है। प्यास को तृप्त करने के साथ-साथ यह पानी मीठा भी है। आमतौर पर बहुत कम ही हैंडपंप का पानी मीठा निकलता है। लेकिन इस हैंडपंप की बात ही अलग है। यहां का जल स्तर भी ठीक है। इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि जब से यह हैंडपंप लगा है, तब से अब तक यह सूखा नहीं है। गर्मी के इस मौसम में पेयजल की समस्या से लोग परेशान हैं।
यहां तक की कई गांव में कुएं सूख चुके हैं। कई हैंडपंप ने जवाब दे दिया है। वैसे में लोगों को पेयजल की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। लेकिन यहां पर वैसी बात नहीं है। इस हैंडपंप के पानी से दाल भी अच्छी से गलती है। यह हैंडपंप दो गांव का दिल भी मिला रहा है। यह गिद्धौर व बरटा गांव के लिए वरदान साबित हो रहा है। दोनों गांव के करीब ढाई से तीन सौ लोग प्रत्येक दिन यहां से पानी ले जाते हैं।
बताते चलें कि प्रखंड में कई ऐसे हैंडपंप हैं, जहां का पानी न तो पीने लायक है और न ही खाना बनाने लायक। करीब दो दशक पूर्व मंदिर परिसर में बोरिंग कर हैंडपंप लगाया गया था। उसके बाद से गिद्धौर व बरटा के ग्रामीण निरंतर यहां से पानी ले रहे हैं। दोनों गांव के लोग इस पानी का उपयोग वर्षों से दाल बनाने व पीने के लिए करते हैं।
मंदिर के पुजारी देवकी महतो, प्रकाश पांडेय,अनिल कुमार, सत्यदेव पांडेय, सूर्यदेव पांडेय, ईश्वर दांगी, काशीराम दांगी व अन्य ग्रामीणों ने बताया कि इस हैंडपंप का पानी आरओ व मिनरल वाटर से कम नहीं है। इस पानी में टीडीएस की मात्रा भी बहुत ही बेहतर है। इसका उपयोग खाना बनाने के साथ-साथ पीने में करते हैं। यह हैंडपंप मंदिर परिसर में है। इसके बावजूद यहां पर सभी धर्मों के लोग आते हैं और यहां से पानी लेकर जाते हैं।