Jharkhand Election 2024: झारखंड में NDA के पार्टनर्स में बेहतर तालमेल, महागठबंधन में दिख रही खींचतान
झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में सियासी पारा इन दिनों हाई है। एनडीए में सीटों को लेकर बेहतर तालमेल दिख रहा है। वहीं दूसरी ओर महागठबंधन में अभी तक खींचतान दिख रही है। कुछ सीटों पर झामुमो और भाकपा माले के बीच फ्रेंडली फाइट भी हो सकती है। अभी जो स्थिति बनी हुई है उसके मुताबिक कम से कम दो सीटों पर दोस्ताना संघर्ष हो सकता है।
राज्य ब्यूरो, रांची। Jharkhand Assembly Election 2024 झारखंड में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) अपने घटक दलों के साथ बेहतर तालमेल बनाए हुए हैं। भाजपा ने आजसू पार्टी, जदयू के साथ-साथ लोजपा (रामविलास) संग भी सीटों को लेकर तालमेल किया। अभी तक किसी सीट को लेकर आपस में खटपट की नौबत नहीं है, जबकि दूसरी ओर आईएनडीआईए में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान और रस्साकशी स्पष्ट नजर आ रही है।
ज्यादातर सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस पार्टी में सहमति बन जाने के बाद भी अभी कुछ सीटों पर जिच है। इस पेच को देखते हुए कुछ सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा नहीं हुई है। पहले 22 सीटें मांगने और बाद में 12 सीटों को लेकर अड़ने के बाद राजद को छह सीटों पर मनाने में झामुमो सफल हो गया है, लेकिन अब भाकपा माले सीटों को लेकर अड़ गया है।
धनवार में JMM और भाकपा माले आमने-सामने
मंगलवार को झामुमो और माले की ओर से जारी सूची में एक सीट धनवार ऐसी है, जिस पर दोनों ने अपने-अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि इस सीट से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी प्रत्याशी हैं। झामुमो और भाकपा माले द्वारा प्रत्याशी उतारे जाने से पूर्ण तालमेल की संभावना अब कम ही है।जमुआ विधानसभा सीट की स्थिति
इसके अलावा, धनवार से सटे जमुआ विधानसभा सीट पर भी लगभग यही स्थिति है। माले के विरोध को दरकिनार करते हुए इस सीट पर झामुमो ने भाजपा से आए निवर्तमान विधायक केदार हाजरा को उतार दिया है। इससे यह संभावना है कि माले गठबंधन से छिटक सकता है। निरसा और सिंदरी सीट को लेकर भी माले का दबाव है।दरअसल, भाकपा माले में हाल ही में मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का विलय हुआ है। इससे माले का प्रभाव क्षेत्र बढ़ा है और माले इसी हिसाब से गठबंधन में अपनी सीटें चाहता है। निरसा और सिंदरी मासस का प्रभाव क्षेत्र रहा है। मासस का बंगाल से सटे इन दोनों विधानसभा सीटों पर असर रहा है। यहां से मासस के विधायक पूर्व में जीतते रहे हैं।
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