होमियोपैथी और आयुर्वेद में भी डेंगू का बेहतर इलाज, डॉक्टरों ने दी राय: बुखार आने पर क्या करें और क्या खाएं
Jharkhand Dengue News बारिश के मौसम में डेंगू की बीमारी लोगों में बढ़ती जाती है। ऐसे में सही वक्त सटीक इलाज मिलना काफी जरूरी है। डेंगू के इलाज में अक्सर ऐलोपैथी इवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इसके इलाज में होमियोपैथी और आयुर्वेद की दवाइयां भी कारगर हैं जो शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाते हैं और मरीज जल्दी-जल्दी स्वस्थ होता जाता है।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Thu, 05 Oct 2023 02:22 PM (IST)
जासं, रांची। अभी के मौसम में मच्छर जनित रोगियों की लगातार संख्या बढ़ रही है। बारिश जैसे ही तेज होती है, डेंगू-चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। डेंगू मरीजों का इलाज सिर्फ ऐलोपैथी में ही नहीं, बल्कि लोग होमियोपैथी और आयुर्वेद का भी उपचार ले रहे हैं। इससे उन्हें जल्द राहत मिल रही है।
डेंगू के कई मरीजों का घर पर चल रहा इलाज
अभी रांची में करीब 200 से अधिक डेंगू पीड़ित हैं। इसमें से अधिकतर का इलाज घरों में चल रहा है, जिनका कोई सरकारी आंकड़ा है ही नहीं।
जबकि कई का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। जिसमें रिम्स में अभी करीब 26 डेंगू के मरीज भर्ती हैं, जबकि सदर अस्पताल में यह संख्या 30 के आसपास है।
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बढ़ते जा रहे हैं डेंगू के मामले
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, एक अक्टूबर तक डेंगू के कुल 76 मामले सामने आए, जबकि चिकनगुनिया के 163 मामले सामने आए।डाॅक्टरों के अनुसार, मानसून में मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। आसपास जमा पानी में इस तरह के मच्छर पनपनते लगते हैं, जिन्हें खुद नष्ट करना चाहिए।डेंगू एडिज मच्छर के काटने से शरीर में फैलता है। डेंगू का बुखार करीब 10 से 15 दिनों तक रह सकता है। डेंगू से बचने के लिए जरूरी है कि लोग सावधानी बरतें और दो दिन से अधिक दिनों तक बुखार हो तो डेंगू-चिकनगुनिया, मलेरिया की जांच करवाएं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।होमियोपैथी से डेंगू का बेहतर इलाज
डेंगू जैसी बीमारी का इलाज होमियोपैथी में भी बेहतर है। राजधानी के होमियोपैथी डाक्टर निसार अहमद बताते हैं कि होमियोपैथी में जो दवा दी जाती है उससे मरीज जल्द ठीक होता है और इसका कोई साइड इफेक्ट भी शरीर पर नहीं पड़ता है। इन दवाओं में आरसेनिक, ब्रायोनिया, एल्ब यूपीटोरियम, जेलसिमियम और रस-टाक्स शामिल हैं। जैसे ही बीमारी ठीक होने लगती है शरीर खुद से ही प्लेटलेट्स बनाने लगता है।डा. निसार बताते हैं कि ब्रायोनिया डेंगू के मरीजों के लिए लाभकारी है। इस दवा को डेंगू बुखार के साथ अन्य लक्षण जैसे मांसपेशियों में दर्द, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, आंखों में दर्द, बैचेने पर दिया जाता है।आयुर्वेद प्लेटलेट्स बढ़ाने में सहायक
आयुर्वेद के विशेषज्ञ डा. मनीष डूडीया बताते हैं कि सिर्फ आयुर्वेद में ही ऐसी दवाएं है जो प्लेटलेट्स बढ़ाते हैं, जिससे कोई नुकसान भी नहीं होता। सभी दवाएं शोध पर आधारित होती है। कुछ दवाओं में डेंगू नील, प्लेटोग्रिड, गिलोय की गोली व गेंहू के ज्वारे का रस आदि शामिल हैं। इलाज के लिए आए मरीजों को बेहतर परिणाम मिले हैं।अंग्रेजी दवाओं में प्लेटलेट्स काउंट बढ़ाने की क्षमता
रिम्स डा. सीबी सहाय बताते हैं कि मेडिसिन ओपीडी में फ्लू के सर्वाधिक मरीज पहुंच रहे हैं। जिनमें से 25 प्रतिशत मरीजों में डेंगू के लक्षण पाए जा रहे हैं।इन मरीजों के विभिन्न जांच के बाद इनका इलाज शुरू किया जाता है, इसमें से भी पांच प्रतिशत ऐसे मरीज होते हैं जिनका प्लेटलेट्स काउंट काफी कम होता है जिसमें उन्हें भर्ती कर प्लेटलेट्स चढ़ाना जाता है। हालांकि, अभी तक रांची से डेंगू से कोई मौत होने की पुष्टि नहीं हो पायी है। अंग्रेजी दवाओं में कई ऐसी दवाएं हैं जिससे प्लेटलेट्स काउंट बढ़ाया जाता है और बुखार व लक्षण के आधार पर दवाएं दी जाती है।डेंगू बुखार के लक्षण
- अचानक तेज बुखार l
- स्किन में लाल चखते निकला l
- गंभीर सिरदर्द, रीढ़ में दर्ज l
- आंखों के पीछे दर्द l
- गंभीर जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द l
- थकान, दाने या छोटे छाले l
- उल्टी आना, जी मिचलाना, दस्त होना।
डेंगू के इलाज में क्या खाएं
- कीवी फल: इससे प्लेटलेट्स बढ़ता है और डेंगू खत्म होता है l
- छाछ: छाछ पीने से प्लेटलेट्स बढ़ता है l
- नारियल पानी: नारियल पानी नमक और मिनरल्स का एक समृद्ध स्रोत है l
- ब्रोकली: डेंगू में ब्रोकली खाना लाभकारी l
- पपीते का पत्ता: डेंगू से लड़ने में सहायक l
- संतरा, पपीता, अनार है फायदेमंद l
- हल्दी वाला दूध नियमित रूप से लें l
- अमरूद का रस नियमित रूप से लें l
- जामुन का सेवन कर सकते हैं l
- उन खाद्य पदार्थों का सेवन करें जो प्रतिरक्षा को बढ़ाने में मदद करते हैं l
- पत्तेदार सब्जियों जैसे मेथी का सेवन करें l
- मधुमेह रोगियों को छोड़ ओआरएस का घोल लें।
रोग होने पर क्या करें
- नींद पूरी लें l
- शारीरिक परिश्रम न करें l
- बिना डाक्टरी सलाह के दवा बिल्कुल ना लें l
- जांच रिपोर्ट में अधिक प्लेटलेट्स गिरने की पुष्टि हो तो अस्पताल में भर्ती होकर प्लेटलेट्स चढ़वाएं l
- हाइड्रेटेड रहने के लिए जितना संभव हो तरल पदार्थ पीते रहें।