झारखंड हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, JPSC को दिया दो महीने में संशोधित रिजल्ट जारी करने का आदेश
झारखंड हाई कोर्ट के दो जजों की खंडपीठ ने जेपीएससी को दो महीने में सहायक टाउन प्लानर नियुक्ति साक्षात्कार का संशोधित परिणाम जारी करने का आदेश दिया है। बता दें कि यह मामला पहले एकलपीठ में गया था। एकलपीठ ने JPSC के निर्णय को सही बताते हुए याचिका को खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा- सरकार इस पर ध्यान दे।
By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Sun, 17 Sep 2023 04:23 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद व जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ ने जेपीएससी को दो माह में सहायक टाउन प्लानर नियुक्ति साक्षात्कार का संशोधित परिणाम जारी करने का निर्देश दिया है। अदालत ने शनिवार को इस संबध में निर्णय सुनाते हुए जेपीएससी को वैसे लोगों की उम्मीदवारी रद करने का निर्देश दिया।
जिनके पास आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि (10 अगस्त 2020) तक इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर ऑफ इंडिया (आइटीपीआइ) का प्रमाणपत्र नहीं था। साक्षात्कार में बुलाए गए 186 वैसे उम्मीदवारों का आवेदन भी रद करने का निर्देश दिया है। जो प्रमाणपत्र नहीं होने पर भी साक्षात्कार में शामिल हुए थे। अदालत ने जेपीएससी को नया पैनल बना कर संशोधित परिणाम जारी करने को कहा है। जिनके पास आवेदन की अंतिम तिथि तक आइटीपीआइ का प्रमाणपत्र था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पैनल में पहले से कार्यरत कोई भी पदाधिकारी शामिल नहीं होगा।
अदालत ने कहा- सरकार दे ध्यान
हाई कोर्ट ने कहा- सरकार ध्यान दें, ताकि जेपीएससी की गरिमा बनी रहे, आयोग ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर किया काम lजिनके पास प्रमाणपत्र नहीं, वह भी हुए थे साक्षात्कार में शामिल चयनित भी हुए, ऐसे लोग सूची से बाहर होंगे।चेयरमैन गलती करने वाले अधिकारी की जिम्मेदारी तय करें। अदालत ने अपने आदेश में कई तीखी टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि इस मामले में जेपीएससी ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्य किया। जिसकी वजह से नियुक्ति में बिलंब हुआ है। गैरवाजिब तरीके से अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल करने के लिए जेपीएससी ने नियमों का उल्लंघन किया है।
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पात्र अभ्यर्थियों को को जेपीएससी की इस गलती की वजह से परेशानी उठानी पड़ी है। टाउन प्लानर की सही समय पर नियुक्ति नहीं होने की वजह से राज्य की जनता का काम भी प्रभावित हुआ है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि जेपीएससी चेयरमैन इस गलती के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करें। साथ ही अदालत ने सरकार से कहा कि उसे इस ओर ध्यान देना चाहिए, ताकि जेपीएससी जैसी संवैधानिक संस्था का मान-सम्मान बना रहे।
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