बिहार-झारखंड का 21 वर्ष पुराना झगड़ा खत्म, टीवीएनएल पर झारखंड का अधिकार, बनेंगी दो नई इकाइयां
Bihar Government Vs Jharkhand Government तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड अब झारखंड सरकार के पास ही रहेगा। बिहार सरकार ने इस पर से दावा छोड़ दिया है। अदालत से बाहर इस विवाद को सुलझा लिया गया है। झारखंड फायदे में है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Tenughat Vidyut Nigam Limited तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड (टीवीएनएल) पर झारखंड और बिहार के बीच चल रहे 21 साल पुराने विवाद की समाप्ति के साथ ही टीवीएनएल पर अब झारखंड सरकार का अधिकार होगा। उम्मीद है कि बिहार सरकार की ओर से इससे संबधित दस्तावेज समेत अन्य चीजें झारखंड सरकार को सौंप दी जाएंगी। हाल ही में राज्य सरकार के ऊर्जा विभाग और बिहार ऊर्जा विभाग के बीच समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है। इसके साथ ही टीवीएनएल की बिजली दरों का निर्धारण भी राज्य विद्युत नियामक आयोग की ओर से किया जाएगा।
कोर्ट से बाहर ही निपटा लिया गया मामला
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी भी दायर है। ऐसे में इस समझौता के साथ ही मामले को कोर्ट के बाहर निपटा लिया गया है। राज्य ऊर्जा विभाग की ओर से एक साल पहले ही जेवीयूएनएल और तेनुघाट प्रबंधन को पत्र लिखकर मामले में निदेशक मंडली से सहमति मांगी गयी थी। बनेंगी 660 मेगावाट की दो इकाइयां: ऊर्जा विभाग की ओर से दोनों निगमों को लिखे पत्र में तेनुघाट के विस्तारीकरण की बात भी शामिल थी। दोनों राज्य सरकारों के बीच हुए समझौते के मुताबिक टीवीएनएल का विस्तारीकरण किया जाएगा. जिसके लिए 660 मेगावाट की दो इकाइयां बनायी जाएंगी। उत्पादित बिजली का 40 प्रतिशत हिस्सा बिहार को दिया जायेगा। बिहार सरकार द्वारा बिजली खरीदने से इंकार करने पर झारखंड सरकार बिजली किसी दूसरे राज्यों को भी बेच सकेगी। बिजली लेने के लिए वर्तमान ट्रांसमिशन लाइन से अथवा दोनों राज्यों की सहमति से नई ट्रांसमिशन लाइन बनाई जायेगी।
कोयला संकट से जूझ रहे टीवीएनएल और डीवीसी
राज्य सरकार का सबसे बड़े विद्युत उत्पादन संयंत्र तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड (टीवीएनएल) और दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के विद्युत उत्पादक संयंत्र कोयले की कमी झेल रहे हैं। इससे दोनों की ताप विद्युत संयंत्रों का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। टीवीएनएल के पास भंडार घटकर सिर्फ एक दिन का रह गया है। शनिवार को तीन रैक कोयले की आपूर्ति हुई। फिलहाल टीवीएनएल की एक यूनिट बंद है। रविवार को अगर सीसीएल से कोयले की आपूर्ति नहीं हुई तो उत्पादन ठप हो सकता है। उधर डीवीसी के कोडरमा थर्मल पावर प्लांट के पास सिर्फ तीन दिन का कोयले का भंडार बचा है।
डीवीसी को रोजाना चाहिए 12 हजार टन कोयला
प्लांट के संचालन के लिए रोजोना 12 हजार टन कोयले की आवश्यकता है। यहां उत्पादन घटाकर 700 से 600 मेगावाट कर दिया गया है। बोकारो थर्मल पावर स्टेशन को तीन हजार टन कोयला मिल रहा है। पावर स्टेशन का उत्पादन 500 मेगावाट प्रतिदिन से घटकर 350 मेगावाट रह गया है। चंद्रपुरा थर्मल पावर प्लांट में भी कोयले की कमी है। इसके अलावा निजी ऊर्जा उत्पादन इकाइयों को भी संकट से दो-चार होना पड़ रहा है। डीवीसी कमांड एरिया के सात जिलों कोडरमा, चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, धनबाद, गिरिडीह और बोकारो में 550 की जगह 440 मेगावाट की आपूर्ति की जा रही है। लोड शेडिंग के जरिए फिलहाल आपूर्ति की जा रही है। पूर्व में दी जा रही 150 मेगावाट की अतिरिक्त आपूर्ति भी डीवीसी ने बंद कर दी है।