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बिरसा हरित ग्राम योजना: झारखंड सरकार की इस एक योजना से बदल रही किसानों की जिंदगी, आम उत्पादकों मिल रहा रोजगार

Birsa Harit Gram Yojana Scheme झारखंड सरकार की बिरसा हरित ग्राम योजना राज्य के किसानों की जिंदगी बदल रही है। राज्य के किसान आम का बागान लगाकर आज अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। झारखंड सरकार ने इस योजना को कोविड संकट के दौरान लागू किया था। लॉकडाउन के दौरान महानगरों से अपने घर आए मजदूरों को इस योजना से सबसे अधिक फायदा हुआ है।

By Manoj Singh Edited By: Mohit Tripathi Published: Tue, 02 Jul 2024 01:43 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jul 2024 01:43 PM (IST)
आम की खेती कर जमकर मुनाफा कमा रहे झारखंड के किसान।

राज्य ब्यूरो, रांची। Birsa Harit Gram Yojana Scheme : झारखंड सरकार की ओर से बिरसा हरित ग्राम योजना चलाई जा रही है। इसका लाभ उठाकर ग्रामीण अपनी जिंदगी बदल रहे हैं। कई ग्रामीण बागान लगाकर आम का उत्पादन कर रहे हैं। सरकार इस योजना को बड़ी सिद्दत से धरातल पर उतारा, तो इसका असर देखने को मिला है।

कोविड-19 ने साल 2020 में जब दस्तक दिया तो झारखंड सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी दूसरे राज्यों से लौटे मजदूरों को उनके पैरों पर कैसे खड़ा किया जाए।

इसके लिए मई 2020 में बिरसा हरित ग्राम योजना शुरू की गई। लॉक डाउन के बीच अभियान चलाकर गांवों में तेजी से फलदार पौधे लगाए गए। मजदूरों को उनके घर में ही रोजगार मिला और किसानों को फलदार बागान।

ग्रामीणों को समझते देर नहीं लगी कि सरकार के सहयोग से लगाए जा रहे फलदार पौधे आने वाले समय में उनकी जिंदगी में मिठास घोलने लगेंगे। अब वही देखने को मिल रहा है। झारखंड में आम्रपाली समेत कई आम की वेरायटी का उत्पादन बढ़ गया है।

कौन-कौन सी वेरायटी के हैं आम

आम ही एक ऐसा फल है, जिसकी वेरायटी अनगिनत है। लोकल स्तर पर लोग बिज्जू आम को अलग-अलग नाम दे देते हैं। कलमी आम में भागलपुरी लंगड़ा और मालदा लंगड़ा का झारखंड में सबसे ज्यादा क्रेज है।

बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत झारखंड की मिट्टी में आम्रपाली, मल्लिका और गुलाब खस क बेजोड़ उत्पादन हो रहा है।

कल तक झारखंड के बाजार में यूपी के बाराबंकी से आम्रपाली, तमिलनाडु और कर्नाटक से मल्लिका और गुलाब खस का आवक था जिसकी आपूर्ति अब लोकल किसान कर रहे हैं।

आंकड़े बता रहे हैं बदलते झारखंड की तस्वीर

ग्रामीण विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 में बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत 25,695 एकड़ में 27,90,319 फलदार पौधे लगाए गए।

साल 2021-22 में 20,648 एकड़ में 23,12,556 और 2022-23 में 20,933 एकड़ में 23,44,551 और 2023-24 में 43,388 एकड़ में 44,06,905 फलदार पौधे लगाए गए।

चार वर्षों में 1,10,664 एकड़ में कुल एक करोड़ 18 लाख 54 हजार 331 पौधे लगाए गए। इस योजना का लाभ बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने उठाया। साल 2020-21 में 30,023 लाभुकों ने बागवानी की।

साल 2021-22 में 23,554 और साल 2022-23 में 23,470 लाभुकों और 2023- 24 में 50,113 लाभुकों ने आम के पौधे लगाए। अब वही छोटे पौधे फल देने लगे हैं।

बाजार उपलब्ध कराने की तैयारी

एक तरफ यह योजना किसानों के लिए वरदान साबित हुई है तो दूसरी तरफ एक नई परेशानी भी लेकर आई है। आम का अच्छा उत्पादन होने की वजह से किसानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहा है।

फिलहाल, शहरों के रिटेल मार्केट में लंगड़ा और गुलाब खस आम 60 रुपये किलो रिटेल में बिक रहा है। किसानों की इस तकलीफ को देखते हुए ग्रामीण विकास विभाग मार्केट तैयार करने की योजना बना रहा है ताकि किसानों को उचित दाम मिल सके।

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