झारखंड में भाजपा के रुख से जदयू पशोपेश में, सरकार के विरुद्ध धरने की घोषणा
जदयू झारखंड सरकार के अच्छे कार्यों की प्रशंसा करेगी, लेकिन जनता से जुड़े मुद्दों तथा सरकार की खामियों को लेकर जनता के सामने भी जाएगी।
By Sachin MishraEdited By: Updated: Wed, 13 Jun 2018 11:49 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, रांची। बिहार में भाजपा के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाने वाली जदयू झारखंड में न तो सरकार का पूरी तरह समर्थन कर पा रही और न ही इसकी किसी नीति का खुलकर विरोध ही कर पा रही है। बिहार में गठबंधन से पहले पार्टी नेता न केवल कई मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने का काम कर रहे थे, बल्कि समय-समय पर आंदोलन भी कर रहे थे। बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन होने के बाद यह सब बंद हो गया।
इधर, प्रदेश जदयू के नेता यह ख्वाब पाले थे कि यहां भी भाजपा के साथ गठबंधन होगा और उन्हें सरकार से सटने का मौका मिलेगा। लेकिन झारखंड में भाजपा ने इस पार्टी को कोई तवज्जो नहीं दी। नगर निकाय चुनाव तथा उपचुनाव में भी इससे कोई सहयोग नहीं लिया। झारखंड में जदयू की उपेक्षा का आलम यह है कि स्वयं प्रदेश प्रभारी रामसेवक सिंह को पिछले दिनों स्वीकार करना पड़ा कि उनका झारखंड में भाजपा के साथ कोई गठबंधन नहीं है। पार्टी विधानसभा की सभी 81 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।पिछले दिनों हुई कार्यसमिति की बैठक में कार्यकर्ताओं के दबाव पर लंबे अरसे बाद तय हुआ कि पार्टी राज्य सरकार के अच्छे कार्यों की प्रशंसा करेगी, लेकिन जनता से जुड़े मुद्दों तथा सरकार की खामियों को लेकर जनता के सामने भी जाएगी। तय हुआ कि 25 जून को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में इन मुद्दों को लेकर धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। पार्टी नेताओं ने यह भी कहा यदि इसके बावजूद सरकार नहीं चेतेगी तो पार्टी राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मिलकर इस ओर उनका ध्यान आकृष्ट कराएगी।
भाजपा द्वारा उपेक्षा का एक कारण यह भी है कि झारखंड में जदयू की हालत खस्ता है। स्थिति यह है कि आज राज्य में एक भी विधायक इस पार्टी से नहीं है। संगठन को मजबूत करने की बात हो तो दो-चार माह पर प्रदेश प्रभारी व सह प्रभारी आकर एक-दो दिन बैठक कर चले जाते हैं। पार्टी की गतिविधियां नहीं के बराबर हैं। हालांकि पिछले दिनों सह प्रभारी अरुण कुमार सिंह ने पार्टी की गतिविधियां बढ़ाने के लिए स्टीय¨रग कमेटी गठित की है। अब देखना है कि यह कमेटी पार्टी को कितना उठा पाती है।
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