BJP ने राहुल गांधी से पूछा- क्या बिहारी और बांग्लादेशी घुसपैठिए एक समान हैं? झारखंड में कांग्रेस MLA के बयान पर बवाल
Jharkhand Politics झारखंड में विधानसभा चुनाव बेहद नजदीक है। जल्द ही चुनाव की तारीख की घोषणा हो सकती है। इसके पहले राज्य में डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा गरमाया हुआ है। फिलहाल तो विधानसभा का मानसून सत्र में सदन स्थगित है लेकिन इसपर अब कांग्रेस-भाजपा में बाहर घमासान मचा है। वहीं कांग्रेस ने सत्र के दौरान सदन में इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए हामी भरी है।
राज्य ब्यूरो, रांची। कांग्रेस विधायक शिल्पी ने भाजपा पर उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सिर्फ एक पक्ष को लेकर राजनीति कर रही है। जहां पर उन्होंने अपना वोट बैंक बढ़ा लिया है वहां की बात ही नहीं करते।
घुसपैठिया तो अलग-अलग राज्यों से आए लोग भी हैं। आदिवासियों की जमीन कहां गई। फाल्स डीडी बना बनाकर जमीनें हड़प ली गईं। बड़े-बड़े अपार्टमेंट किसकी जमीन पर बनी है। 1985 के आधार पर स्थानीयता को परिभाषित कर उन्होंने इन अपार्टमेंटों में रहनेवालों को भी स्थानीय बना दिया।
शिप्ली ने केंद्र सरकार पर बोला हमला
इस प्रकार जो डेमोग्राफी में बदलाव हुए उसपर भाजपा बात क्यों नहीं करती? उन्होंने एक बार फिर केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह बदलाव क्या एक साल में हुआ। अधिक समय पर भाजपा ही शासन में रही है। डेमोग्राफी चेंज के लिए बीएसएफ से क्यों नहीं पूछा जाता।भाजपा केवल एक जगह की बात करती है। वो लोग अपनी सहूलियत और वोट बैंक के हिसाब से बात करते हैं। इसपर चर्चा की शुरुआत राजधानी रांची से होनी चाहिए। सदन में पूरा पोल खोलेंगे कि किस प्रकार से डेमोग्राफी चेंज हुआ है।
बंधु तिर्की अपनी बेटी के सपोर्ट में उतरे
इसके पूर्व मीडिया कर्मियों से बात करते हुए उन्होंने सवाल उठाया था कि आखिर रामगढ़ में बिहार के लोग मुखिया कैसे बने जा रहे हैं। यही बात भाजपा को चुभ गई है। बाहर से आए लोग आधार कार्ड, वोटर आइडी, जाति प्रमाणपत्र बनवा ले रहे हैं। छोटानागपुर का नक्शा बदला है, कोयलांचल में डेमोग्राफी चेंज हुआ है उसपर बात क्यों नहीं करते।शिल्पी के समर्थन में पूर्व मंत्री और उनके पिता बंधु तिर्की भी उतर आए हैं। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा है कि निशिकांत दुबे, बाबूलाल और भाजपा के अन्य नेताओं को संपूर्ण झारखंड में डेमोग्राफी चेंज पर बात करनी चाहिए। इस मुद्दे पर भाजपा के नेता सेलेक्टिव क्यों हो जाते हैं?
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