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संताल से कोल्हान तक BJP में भगदड़, कई नेताओं के JMM में जाने की चर्चा; लिस्ट में दिग्गजों के नाम

झारखंड में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। टिकट वितरण के बाद कई विधायक पूर्व विधायक और अन्य नेता-कार्यकर्ता पार्टी छोड़कर झामुमो में जाने को तैयार दिख रहे हैं। संताल परगना और कोल्हान प्रमंडल में पार्टी के भीतर उथल-पुथल मची हुई है। इन दोनों प्रमंडलों में बेहतर प्रदर्शन के लिए पार्टी नेताओं और रणनीतिकारों को कड़ी मेहनत करनी होगी।

By Pradeep singh Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 21 Oct 2024 09:00 PM (IST)
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बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और जेएमएम नेता हेमंत सोरेन। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में भाजपा ने टिकट वितरण के पहले पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन (Champai Soren) समेत झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कुछ बड़े नेताओं को अपने पाले में कर माहौल बनाया था। इसके उलट अब टिकट वितरण के बाद भाजपा के ही कई विधायक, पूर्व विधायक और अन्य नेता-कार्यकर्ता झामुमो में जाने को तैयार दिख रहे हैं।

रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण 18 सीटों वाले संताल परगना और 14 सीटों वाले कोल्हान प्रमंडल में पार्टी के भीतर और बाहर कुछ ज्यादा ही उथल-पुथल मची है। ऐसे में इन दोनों प्रमंडल में बेहतर प्रदर्शन के लिए पार्टी नेताओं और रणनीतिकारों को ज्यादा पसीना बहाना होगा।

JMM ज्वाइन करेंगे लुईस मरांडी?

टिकट नहीं मिलने से नाराज पूर्व मंत्री लुईस मरांडी और राज पलिवार समेत कई नेता या तो पार्टी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ने को तैयार हैं या झामुमो के संपर्क में हैं। लुईस मरांडी दुमका से बतौर भाजपा प्रत्याशी चुनाव जीत चुकी हैं। राज पालिवार रघुवर दास की कैबिनेट में मंत्री रहे हैं।

नाला से भाजपा के प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीत चुके सत्यानंद झा बाटुल ने पार्टी छोड़ दी है। ऐसे नेता पार्टी के लिए रोड़ा बन सकते हैं। इनका पड़ाव झामुमो बन सकता है। हालांकि, झामुमो जल्दबाजी में कोई फैसला लेने से बच रहा है, क्योंकि इससे वहां भी भगदड़ मच सकती है।

पिछले विधानसभा चुनाव में संताल परगना की 18 में से 14 सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। कोल्हान की स्थिति बदतर थी। वहां भाजपा का खाता तक नहीं खुल पाया था। उल्लेखनीय है कि सत्ता के करीब पहुंचने में ये दोनों प्रमंडल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में इन दोनों प्रमंडलों में बेहतर प्रदर्शन कर झामुमोनीत गठबंधन ने सत्ता हासिल करने में कामयाबी पाई थी।

करीबी रिश्तेदारों को टिकट देने का भीतर-बाहर विरोध

कोल्हान प्रमंडल के तहत आने वाली कई सीटों पर पार्टी से वर्षों से जुड़े नेताओं ने बगावत का रास्ता अख्तियार कर लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू को टिकट देने का विरोध हो रहा है। यही स्थिति चंपई सोरेन और उनके बेटे को टिकट देने के बाद निर्मित हुई है।

चंपई सरायकेला से और उनके पुत्र बाबूलाल सोरेन घाटशिला से चुनाव लड़ रहे हैं। सोरेन परिवार के खिलाफ भाजपा के कई नेता सामने आए हैं।

पूर्व केंद्रीयमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा पोटका विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं। वहां से भाजपा की पूर्व विधायक रही मेनका सरदार इससे नाराज हैं। उनकी नाराजगी भी सामने आई। हालांकि, उन्हें समझाने का प्रयास किया जा रहा है। कुल मिलाकर ऐसी परिस्थिति से भाजपा को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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