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Jharkhand Election 2024: हर सीट पर खास रणनीति के साथ चुनाव लड़ेगी BJP, ओबीसी मोर्चा को मिली अहम जिम्मेदारी

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने हर सीट पर खास रणनीति के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है। विपक्ष के संभावित प्रत्याशियों और अन्य दलों की रणनीति को समझने के बाद ही भाजपा अपने उम्मीदवारों का चयन करेगी। पार्टी का लक्ष्य अपने समर्थक मतदाताओं का वोट बंटने से रोकना है। ओबीसी मोर्चा को वोटों के बिखराव पर नजर रखने का काम सौंपा गया है।

By Dibyanshu Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 13 Sep 2024 06:57 PM (IST)
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भाजपा का पूरा जोर प्रत्येक सीट पर ऐसे प्रत्याशी खड़े करने की है जिसे कार्यकर्ताओं का पूरा समर्थन हो।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Election 2024) के लिए भारतीय जनता पार्टी ने प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। रायशुमारी के बाद अब प्रत्येक सीट पर विपक्ष के संभावित प्रत्याशी और अन्य दलों की रणनीति को समझने में भाजपा के नेता लगे हैं। अपने समर्थक मतदाताओं का वोट बंटे नहीं इसके लिए भाजपा को केंद्रीय नेतृत्व से खास निर्देश मिला है। पार्टी के ओबीसी मोर्चा को वोटों के बिखराव पर नजर रखने का काम दिया गया है।

गिरिडीह, बोकारो, धनबाद, रांची समेत कोल्हान की कुछ सीटों पर जयराम महतो की पार्टी जेबीकेएसएस भी प्रत्याशी उतारेगी। भाजपा इसे लेकर सतर्क है। इनमें से कई सीटों पर भाजपा स्वयं और कुछ सीटों पर सहयोगी पार्टी आजसू के प्रत्याशी होंगे।

जयराम महतो के पक्ष में लोकसभा चुनाव में बड़ी संख्या में वोट ट्रांसफर हुए थे। विधानसभा चुनाव में वोटों का छोटा प्रतिशत भी जीत हार पर असर डाल सकता है। इसे लेकर पार्टी सतर्क है। भाजपा का पूरा जोर प्रत्येक सीट पर ऐसे प्रत्याशी खड़े करने की है जिसे कार्यकर्ताओं का पूरा समर्थन हो।

रायशुमारी में कार्यकर्ताओं के उत्साह से बढ़ा मनोबल

विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी के नाम तय करने के लिए पार्टी ने रायशुमारी का आयोजन किया था। इसमें बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए। मंडल और शक्ति केंद्र स्तर के कार्यकर्ताओं के उत्साह से पार्टी का मनोबल बढ़ा है।

एक-एक सीट पर तीन से पांच प्रत्याशियों के नाम पर रायशुमारी हुई है, लेकिन नेताओं की महत्वाकांक्षा पर काबू रखना एक चुनौती भी है। रायशुमारी में नाम आने और टिकट नहीं मिलने से उपजी निराशा में नेता और कार्यकर्ता बागी हो सकते हैं। इसे रोकने के लिए संगठन के स्तर पर रणनीति बनाई गई है।

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