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इधर BJP ने एजेंडा किया सेट! उधर JMM-कांग्रेस को मिला मुद्दा; झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर बढ़ी सरगर्मी

झारखंड में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को सभी दलों की तैयारियां तेज हो गई है। एक तरफ जहां सत्तारूढ़ झामुमो कांग्रेस गठबंधन अपनी रणनीति सेट करने में जुटी है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा भी चुनाव में जीत को लेकर एक्टिव मोड में है। अमित शाह के रांची दौरे के बाद यह भी स्पष्ट हो गया है कि भाजपा पीएम मोदी के चेहरे पर ही आगामी चुनाव लड़ेगी।

By Pradeep singh Edited By: Shashank Shekhar Updated: Sun, 21 Jul 2024 05:07 PM (IST)
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अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन। फाइल फोटो
प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की तैयारियां तेज हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन में इस बात को लेकर स्पष्टता है, लेकिन भाजपा की रणनीति अलग है। भाजपा ने किसी चेहरे को आगे नहीं करने और पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने का निश्चय किया है।

केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने शनिवार को रांची में भाजपा कार्यसमिति की बैठक में स्पष्ट कर दिया कि नेतृत्व सामूहिक होगा और पीएम मोदी के चेहरे पर ही भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेगी। यह रणनीति की वजह भी है। इसे दल के भीतर नेताओं की आपसी महत्वाकांक्षा को लेकर टकराव और गुटबाजी रोकने के लिए लिया हुआ निर्णय भी कहा जा सकता है।

पिछले विधानसभा में भाजपा का कुछ ऐसा रहा था हाल

दरअसल, भाजपा का शीर्ष नेतृत्व पिछले विधानसभा चुनाव परिणाम को देखते हुए सतर्क है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 65 प्लस के नारे के साथ अभियान की शुरुआत की थी, मगर 25 सीटों पर ही सिमट गई और भाजपा के हाथ से सत्ता निकल गई। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास भी परास्त हो गए। उस वक्त की परिस्थिति अलग थी। विधानसभा चुनाव संपन्न के तत्काल बाद भाजपा ने डैमेज कंट्रोल की कवायद आरंभ की।

इस क्रम में बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) प्रजातांत्रिक का विलय भाजपा में कराया गया। बाबूलाल मरांडी भाजपा विधायक दल के नेता बनाए गए। हालांकि, विधानसभा में उन्हें मान्यता नहीं मिली। बाद में उन्हें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई।

इन बड़े नेताओं के कंधे पर चुनाव में जीत दिलाने की जिम्मेदारी

हालिया लोकसभा चुनाव में पांच सीट गंवाने के बाद भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। यही वजह है कि किसी खास चेहरे की बजाय सामूहिक नेतृत्व पर जोर है।

यही नहीं, भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान और हिमंत बिस्व सरमा को चुनाव की कमान सौंपकर यह संकेत दे दिया है कि यह जोड़ी राज्य में सत्ता में वापसी के लिए कोई-कसर छोड़ने वाली नहीं है। हालांकि, किसी चेहरे को आगे नहीं करने से झामुमो और कांग्रेस को निशाना साधने का मौका अवश्य दे दिया है।

चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन बनाएगा मुद्दा!

भाजपा से इतर सत्तारूढ़ गठबंधन का मुख्यमंत्री का चेहरा स्पष्ट है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन के दल आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। पूर्व से ही इसे लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी गई थी। गठबंधन के दलों का आरोप है कि भाजपा के पास हेमंत सोरेन से मुकाबले के लिए कोई चेहरा ही नहीं है।

लोकसभा चुनाव में भी पीएम का चेहरा और विधानसभा चुनाव में भी उनके करिश्मा के सहारे भाजपा है। इससे भाजपा के स्थानीय नेताओं की स्थिति का पता चलता है। चुनाव के दौरान भी यह मुद्दा बनेगा। गठबंधन के निशाने पर पार्टी का प्रदेश नेतृत्व होगा।

झामुमो महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि भाजपा आदिवासियों को पसंद नहीं करती है। बाबूलाल मरांडी को कुछ भी मिलने वाला नहीं है। बाहरी नेताओं का यहां उतारा गया है। वे चुनावी पर्यटन पर आए हैं और जल्द वापस लौट जाएंगे।

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