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ब्लैकलिस्टेड कर्मियों को शराब दुकानों में किया नियुक्त, विभाग ने पूछा- दो दिनों के भीतर बताएं, क्यों न हो कार्रवाई

रांची में ब्लैकलिस्टेड कर्मियों को शराब दुकानों में नियुक्त किए जाने का मामला सामने आने के बाद उत्पाद विभाग ने पश्चिमी सिंहभूम के प्रभारी अधीक्षक उत्पाद से स्पष्टीकरण मांगा है। प्रभारी अधीक्षक उत्पाद से पूछा है कि मानव प्रदाता एजेंसी मेसर्स आरके एंड कंपनी मैनपावर प्राइवेट लिमिटेड से विभाग में की गई इस शिकायत पर अपना लिखित स्पष्टीकरण दो कार्य दिवस के अंदर विभाग को दें।

By Dilip Kumar Edited By: Aysha SheikhUpdated: Sun, 24 Dec 2023 10:53 AM (IST)
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ब्लैकलिस्टेड कर्मियों को शराब दुकानों में किया नियुक्त, उत्पाद विभाग ने पूछा- क्यों न हो प्रशासनिक कार्रवाई
राज्य ब्यूरो, रांची। उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने पश्चिमी सिंहभूम के प्रभारी अधीक्षक उत्पाद से स्पष्टीकरण मांगा है। विभाग ने यह स्पष्टीकरण मैन पावर की आपूर्ति करने वाली एजेंसी मेसर्स आरके एंड कंपनी मैनपावर प्राइवेट लिमिटेड की शिकायत पर पूछा है।

इस एजेंसी ने विभाग से शिकायत की है कि सरायकेला-खरसावां जिले में काली सूची में नामित दुकान प्रभारी/सहायक को पश्चिमी सिंहभूम जिले में संचालित खुदरा उत्पाद दुकानों में नियुक्त किया जा रहा है और मानव प्रदाता एजेंसी से नियुक्त कर्मियों को हटाया जा रहा है।

संयुक्त आयुक्त उत्पाद ने स्पष्टीकरण में क्या पूछा?

विभाग की ओर से संयुक्त आयुक्त उत्पाद ने स्पष्टीकरण में पूछा है कि उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग या झारखंड राज्य वेबरेजेज कारपोरेशन लिमिटेड की काली सूची में दर्ज कर्मियों को निगम के माध्यम से संचालित खुदरा उत्पाद दुकानों में दुकान प्रभारी या सहायक के रूप में नियुक्त करना एक गंभीर आरोप है।

ऐसे कर्मियों की नियुक्ति से उनके माध्यम से अवैधानित कृत्य जैसे शराब का अपमिश्रण, एमआरपी से अधिक मूल्य पर शराब की बिक्री आदि की आशंका बढ़ जाती है। ऐसा किया जाना वरीय पदाधिकारियों के आदेश की अवहेलना है।

दो दिनों के भीतर बताएं, क्यों न हो प्रशासनिक कार्रवाई

उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने पश्चिमी सिंहभूम के प्रभारी अधीक्षक उत्पाद से पूछा है कि मानव प्रदाता एजेंसी मेसर्स आरके एंड कंपनी मैनपावर प्राइवेट लिमिटेड से विभाग में की गई इस शिकायत पर अपना लिखित स्पष्टीकरण दो कार्य दिवस के अंदर विभाग को दें। उनसे पूछा गया है कि अपने मन से किए गए इस अवैधानिक कृत्य के लिए क्यों न उनके विरुद्ध प्रशासनिक कार्रवाई की जाय। 

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