प्रतिबंधित मांगुर मछली से हो सकता है कैंसर-डायबिटीज, नए साल में खान-पान में बरतें सावधानी
Mangur Fish Banned नए साल में पिकनिक के दौरान जंगल में खाना खोजकर पकाने-खाने में सावधानी रखने की जरूरत है। इसमें थोड़ी सी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है। बाजार में प्रतिबंधित मछली की खूब बिक्री हो रही है।
By Sujeet Kumar SumanEdited By: Updated: Tue, 05 Jan 2021 05:33 AM (IST)
रांची, जासं। Mangur Fish Banned नए साल का जश्न लगभग पूरी जनवरी तक चलता है। लोग अभी भी प्रकृति के करीब झरनों के पास पिकनिक के लिए अपने परिवार और दोस्तों के साथ जा रहे हैं। ऐसे में जंगलों में वन भोज का आयोजन किया जाता है। कई लोग अपने खाने का सामान घर से लेकर जाते हैं, वहीं कुछ लोग खुद जंगल में खाना खोजकर उसे पकाते हैं और कुछ लोग पिकनिक स्थलों पर बेचे जा रहे मीट-मछली को खरीदते हैं। मगर इसमें सावधानी रखने की जरूरत है। इसमें थोड़ी सी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है।
विदेशी मांगुर मछली से बनाएं दूरीज्यादातर झरनों के पास पर्यटकों की संख्या को देखते हुए कुछ लोग मांगुर मछली बेचने के लिए पहुंच रहे हैं। वे बताते हैं कि उनके पास उपलब्ध मांगुर मछली लोकल है। मगर असल में वह मांगुर मछली विदेशी होती है। विदेशी मांगुर मछली का व्यापार और पालन सरकार के द्वारा प्रतिबंधित है। विदेशी मांगुर स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है। इसके खाने से कैंसर, डायबिटीज सहित अन्य कई बीमारियां हो सकती हैं। हालांकि लोकल मांगुर के पालन और व्यापार पर रोक नहीं है। ऐसे में अगर लोकल और विदेशी में अंतर न पता हो तो मांगुर मछली न खरीदें।
शहरों में हो रही प्रतिबंधित मछली की बिक्री
रांची शहर में प्रतिबंधित काली विदेशी मांगुर मछली की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। हर मछली बाजार में यह मछली आराम से उपलब्ध है। मत्स्य पालन विभाग के अधिकारी अनूप कुमार ने बताया कि विभाग के द्वारा समय-समय पर इन मछलियों के जीरे और मछली को नष्ट किया जाता है। मगर फिर भी लोग इसका पालन कर रहे हैं। इस मछली में आयरन और लीड की मात्रा काफी ज्यादा होती है। इसके साथ ही यह मछली तीन महीने में चार गुना बढ़ जाती है। इसलिए लोग इसका उत्पादन करते हैं। साथ ही यह पानी के पूरे इकोसिस्टम को खाकर खत्म कर देती है।
फूड प्वाइजनिंग का हो सकते हैं शिकारजंगल में खाना इकट्ठा करते समय उन्हीं वनोत्पाद का इस्तेमाल करें जिन्हें आप पहले से जानते हैं। खास पर जंगली मशरूम को खाने में सावधानी रखें। खूंटी के पेरवाघाघ में वनभोज करने गए नवनीत बताते हैं कि उनकी मंडली ने तय किया था कि वे जंगल से खाना खोजकर पेरवाघाघ जलप्रपात में वनभोज करेंगे। ऐसे में उनके दल की एक टीम ने जंगल से कुछ मशरूम लाए। इसे खाने के चार-पांच घंटे बाद ही लोगों को फूड प्वाइजनिंग का सामना करना। हालांकि सभी लोग चिकित्सा उपचार के बाद ठीक हो गए। वे बताते हैं कि जंगल में ऐसे कई फल हैं, जिनका सेवन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
अच्छे व बुरे मांगुर मछली में ऐसे करें अंतररांची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के मत्स्य पालन विभाग के विज्ञानी और डीन डाॅ. एके सिंह बताते हैं कि विदेशी मांगुर या थाई मांगुर देखने में काले रंग का होता है। यह चार महीने में ही तीन किलो तक का हो सकता है। यह मांसाहारी प्रकृति का होता है। यह मछली जल में मौजूद किसी भी जीव को खा सकती है। इससे पानी का इकोसिस्टम खराब होता है। वहीं लोकल मांगुर आधा से पौना किलो से ज्यादा का नहीं होता है। इसका विकास काफी धीमा होता है। इसका रंग भूरा होता है। यह मनुष्य के लिए काफी लाभदायक होता है।
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