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अपराधी ने पीठ पीछे छुपा रखी थी पिस्तौल, जब तक अधिवक्ता संभलते मार दी गोली

गोली लगते ही रामप्रवेश सिंह कार से टकरा कर गिर गए जबकि अपराधी मौके से भाग गए। सीसीटीवी फुटेज से खुलासा हुआ। वकील को आंख के नीचे गोली लगी थी।

By Alok ShahiEdited By: Updated: Thu, 12 Dec 2019 10:28 AM (IST)
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अपराधी ने पीठ पीछे छुपा रखी थी पिस्तौल, जब तक अधिवक्ता संभलते मार दी गोली
रांची, जासं। सिविल कोर्ट के अधिवक्ता रामप्रवेश सिंह हत्याकांड का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है। सीसीटीवी फुटेज में काले रंग का जैकेट पहना युवक हाथ पीछे कर पिस्तौल पकड़े आगे बढ़ते दिख रहा है। इस दौरान अधिवक्ता अपनी कार के पास बैग लिए खड़े दिखाई दे रहे हैं। युवक धीरे-धीरे चलते हुए उनके सामने आया। रामप्रवेश सिंह उसे देख भी रहे हैैं। तभी अचानक अपराधी ने गोली मार दी। गोली अधिवक्ता की आंख के पास लगी। अपराधी ने लगभग सटाकर गोली मारी थी। गोली लगते ही अधिवक्ता कार से टकराते हुए जमीन पर गिर गए। गोलियों की आवाज सुनकर परिजन और पड़ोस के लोग निकले।

इससे पहले रामप्रवेश सिंह ने सोमवार को हर दिन की तरह अपनी कार घर के सामने खड़ी की थी। एक बार घर के भीतर घुसकर दोबारा कार के पास पहुंचे थे। उसी दौरान उनपर हमला कर दिया गया। घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस को घटनास्थल से 7.65 बोर की गोली का एक खोखा मिला। जिसे जब्त कर लिया गया।

घटना से पहले की रेकी

आसपास का सीसीटीवी फुटेज खंगालने पर पुलिस को बाइक पर सवार एक अन्य अपराधी भी नजर आया है। वह गोली मारने के बाद बाइक लेकर साथी को भागने के लिए खड़ा था। जैसे ही रामप्रवेश सिंह को गोली मारकर अपराधी भागता है, उसका साथी बाइक से उसे लेकर फरार हो गया।

जमीन विवाद की जांच कर रही पुलिस 

अधिवक्ता रामप्रवेश सिंह की हत्या के पीछे जमीन का विवाद सामने आया है। सर्वोदय नगर की 81 डिसमिल जमीन के विवाद के अलावा अन्य जगहों की जमीनों का विवाद भी खंगाला जा रहा है। हालांकि हत्या के बाद पत्नी रीता देवी व बेटे अभिषेक ने कहा है कि सर्वोदय नगर की ही एक जमीन पर कब्जा के प्रयास को लेकर रामप्रवेश सिंह निशाने पर थे। डेढ़ महीने पहले सर्वोदय नगर की 81 डिसमिल जमीन पर कब्जा करने रमेश गाड़ी, उसका साला छोटू लकड़ा दो दर्जन से ज्यादा गुर्गों के पहुंचकर हमला करवाया था।

शव भेजा गया औरंगाबाद

रामप्रवेश सिंह बिहार के औरंगाबाद के रहने वाले थे। रिम्स में उनके शव का पोस्टमार्टम करवाने के बाद उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए परिजन के साथ औरंगाबाद भेज दिया गया। वे औरंगाबाद के मदनपुर बाजार के समीप स्थित नेघा बीघा गांव के रहने वाले थे। उनके दो भाई हैं, उपेंद्र सिंह और गजेंद्र सिंह। इधर शव के पोस्टमार्टम के दौरान महाधिवक्ता अजीत कुमार सहित कई अन्य अधिवक्ता और परिजन भी पहुंचे थे।

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