चंपई सोरेन के BJP में जाने से JMM को कितना होगा नुकसान? 14 सीटों पर दबदबा; अटकलों पर अब भाजपा नेताओं का आया जवाब
Jharkhand Politics News झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने की चर्चाओं के बीच तमाम नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। इस बीच यह बात भी साफ हो गया है कि चंपई को भाजपा अपने पाले में लाने के लिए क्यों इतना जोर लगा रही है। दरअसल चंपई सोरेन का 14 सीटों पर दबदबा है।
राज्य ब्यूरो, रांची। झामुमो नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने की अटकलों पर अब पार्टी की भी प्रतिक्रिया आने लगी है।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य दीपक प्रकाश ने कहा है कि चंपई सोरेन को जिस तरह से झामुमो ने मुख्यमंत्री पद से हटाया था, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि उनके भाजपा में शामिल होने के सवाल पर दीपक प्रकाश ने कहा कि इसकी जानकारी नहीं है। ऐसा कोई भी मामला केंद्रीय नेतृत्व तय करता है।
वहीं, असम के मुख्यमंत्री और झारखंड भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि झामुमो के पांच साल के कार्यकाल में सबसे अच्छा काम चंपई सोरेन के छह महीने के मुख्यमंत्री काल में ही हुआ।
इसके अलावा, भाजपा में चंपई सोरेन के शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कोई भी उनके संपर्क में नहीं है। उन्होंने कहा कि चंपई सोरेन वरिष्ठ नेता हैं। उनके बारे में कोई भी अगंभीर बात नहीं होनी चाहिए।
कोल्हान की 14 सीटों पर चंपई का दांव, झामुमो की चिंता बढ़ी
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने की खबर से ही राज्य में सियासी तूफान उठ खड़ा हुआ है। इस खबर ने झामुमो खेमे में हड़कंप मचा दी है, वहीं इंडी गठबंधन की भी चिंताएं बढ़ गई हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि चंपाई के आने से भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाने में मदद मिलेगी, लेकिन पार्टी के अंदर खेमेबाजी भी तेज होगी।
चंपई का जमशेदपुर समेत कोल्हान क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। खासकर पोटका, घाटशिला और बहरागोड़ा, ईचागढ़, सरायकेला-खरसावां व प. सिंहभूम जिले के विधानसभा क्षेत्रों में मजबूत जनाधार है।
2019 के लोकसभा चुनाव में चंपई ने जमशेदपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था। आदिवासी बहुल इन क्षेत्रों में संथाल और भूमिज समुदाय ने झामुमो को जमकर समर्थन दिया था। कोल्हान के विधानसभा चुनाव में जीत का अंतर 10 से 20 हजार तक ही होता है।
इन 14 सीटों पर चंपई का दबदबा
पोटका, घाटशिला, बहरागोड़ा और ईचागढ़ जैसी सीटों पर तो विधानसभा चुनावों में दस से तीस हजार तक के अंतर से जीत हासिल होती रही है। ऐसे में चंपाई के भाजपा में शामिल होने से सरायकेला की तीन, पश्चिमी सिंहभूम की पांच और पूर्वी सिंहभूम की छह कुल 14 विधानसभा सीटों के समीकरण बदल सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि चंपई की ईचागढ़ में जबरदस्त पकड़ है। यहां तक कि आदित्यपुर, जो भाजपा का गढ़ माना जाता है, वहां भी चंपई हमेशा जीत दर्ज करते रहे हैं। ऐसे में चंपई के आने से कोल्हान में झामुमो को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
फिलहाल कोल्हान में 11 विधायक झामुमो के हैं, जबकि कांग्रेस से मंत्री बन्ना गुप्ता और जमशेदपुर पूर्वी से भाजपा के सरयू राय विधायक हैं। चंपाई की आदिवासी समुदाय, युवा मतदाताओं पर अच्छी पकड़ मानी जाती है।
इसका सीधा फायदा भाजपा को मिल सकता है। इस अटकल का असर ये भी देखने को मिल रहा है कि बहरागोड़ा के झामुमो विधायक समीर महंती को खुलकर यह स्पष्टीकरण देना पड़ा है कि वह दल नहीं बदल रहे हैं।हालांकि, चंपई के भाजपा में जाने से पार्टी के लिए यह सब कुछ इतना आसान भी नहीं होगा।
पूर्वी सिंहभूम में पहले से ही भाजपा में गुटबाजी चरम पर है। ऐसे में चंपई का आना पार्टी के अंदर एक नया समीकरण खड़ा करेगा। पार्टी सूत्रों के अनुसार कई नेता चंपाई के आने से अपनी जगह को लेकर चिंतित हैं।
कुल मिलाकर चंपाई का भाजपा में जाना राज्य की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर ला सकता है। हालांकि, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि चंपाई आखिर क्या फैसला लेते हैं।
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