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Champai Soren की सरकार बनते ही झारखंड पर मेहरबान हुई केंद्र, दे दी इतने करोड़ की सौगात; आखिर क्या है माजरा

Champai Soren समग्र शिक्षा अभियान के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए लगभग 2330 करोड़ रुपये के बजट की स्वीकृति मिली है। झारखंड के लिए इस बजट की स्वीकृति नई दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के प्रोग्राम एप्रूवल बोर्ड की हुई बैठक में मिली है। इसमें 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देगी जबकि 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार को देना होगा।

By Neeraj Ambastha Edited By: Shashank ShekharUpdated: Sat, 10 Feb 2024 11:26 AM (IST)
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Champai Soren की सरकार बनते ही झारखंड पर मेहरबान हुई केंद्र, दे दी इतने करोड़ की सौगात
राज्य ब्यूरो, रांची। समग्र शिक्षा अभियान के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए लगभग 2,330 करोड़ रुपये के बजट की स्वीकृति मिली है। झारखंड के लिए इस बजट की स्वीकृति नई दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के प्रोग्राम एप्रूवल बोर्ड की हुई बैठक में मिली।

इसमें 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देगी, जबकि 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार को देना होगा। बैठक में यह भी कहा गया कि चालू वित्तीय वर्ष में मार्च तक होने वाले खर्च के आधार पर बची हुई राशि का स्पिल ओवर होगा अर्थात उक्त राशि 2024-25 में खर्च हो सकेगी। इसके लिए राज्य सरकार को अलग से प्रस्ताव देना होगा।

61 नए स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा की स्वीकृति

पैब की बैठक में 61 नए स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा की स्वीकृति दी गई। जिन स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा का कार्यक्रम चल रहा है, वहां यह जारी रहेगा। वहीं, 600 अन्य स्कूलों में बाल वाटिका (प्री प्राइमरी) की पढ़ाई शुरू करने की स्वीकृति दी गई।

इन स्कूलों में छोटे बच्चों के लिए अनुकूल बेंच-डेस्क तथा खेल की सामग्री खरीदी जाएगी। साथ ही कक्षाओं व स्कूल की दीवारों में छोटे बच्चों के सीखने के लिए आवश्यक जानकारियों की पेंटिंग कराई जाएगी। वित्तीय वर्ष 2024-25 के समग्र शिक्षा अभियान के बजट में उन सभी कार्यक्रमाें व योजनाओं के लिए राशि स्वीकृत हुई है जो पहले से संचालित हैं।

पारा शिक्षकों, बीआरपी-सीआरपी को मानदेय की स्वीकृति

कक्षा एक से आठ के बच्चों के लिए निश्शुल्क पुस्तकें, पोशाक, स्कूल किट आदि इनमें सम्मिलित हैं। पारा शिक्षकों, बीआरपी-सीआरपी एवं अन्य परियोजना कर्मियों के मानदेय की तो स्वीकृति मिली है, लेकिन इसमें किसी प्रकार की वृद्धि नहीं हुई है। नए स्कूलों के निर्माण के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई प्रस्ताव ही नहीं भेजा गया था।

बैठक में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के पदाधिकारियों ने विभिन्न कार्यक्रमों में तेजी लाने तथा कार्यक्रमों के संचालन में वित्तीय दिशा-निर्देशों का सख्ती से अनुपालन के निर्देश दिए। साथ ही जिन जिलों में बच्चों की अनुपस्थिति कम है तथा ड्राप आउट अधिक है, उनमें विशेष ध्यान देने तथा नियमित निगरानी पर जोर दिया।

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