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Champai Soren: 'अस्तित्व संकट में आ जाएगा...', चंपई सोरेन ने BJP ज्वाइन करने से पहले लिखी लंबी-चौड़ी पोस्ट

Champai Soren Jharkhand Politics झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने घुसपैठियों को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि अगर घुसपैठियों को रोका नहीं गया तो आदिवासी समाज का अस्तित्व संकट में आ जाएगा। चंपई ने एक पोस्ट के माध्यम से कहा है कि बांग्लादेशी घुसपैठिये संथाल परगना में बड़ी समस्या बन गए हैं। सोरेन ने जमीनों पर कब्जे का आरोप भी लगाया।

By Ashish Jha Edited By: Yogesh Sahu Updated: Tue, 27 Aug 2024 09:03 PM (IST)
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Champai Soren : चंपई सोरेन ने भाजपा में शामिल होने से पहले लिखी लंबी पोस्ट।
राज्य ब्यूरो, रांची। Champai Soren : पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने एक बार फिर अपने समर्थकों के नाम पत्र लिखा है और इसमें उन्होंने झारखंड के हालात की चर्चा करते हुए सर्वप्रथम घुसपैठियों को प्रवेश से रोकने की बात कही है।

उन्होंने कहा है कि अगर इस प्रक्रिया पर समय रहते रोक नहीं लगाई गई तो आदिवासी समाज का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा। पेश है उनका पत्र, हू-ब-हू उन्हीं के शब्दों में।

चंपई ने लिखा- जनता हर कदम मेरे साथ खड़ी

जोहार साथियों, पिछले हफ्ते (18 अगस्त) एक पत्र द्वारा झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी। उसके बाद, मैं लगातार झारखंड की जनता से मिलकर, उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा। कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही, और उन्होंने ही संन्यास लेने का विकल्प नकार दिया।

पार्टी में कोई ऐसा फोरम/मंच नहीं था, जहां मैं अपनी पीड़ा को व्यक्त कर पाता तथा मुझ से सीनियर नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं।

आज बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है।

जमीनों पर घुसपैठिये कर रहे कब्जा

चंपई ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा कि इससे दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं।

इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है।

आदिवासी समाज के अस्तित्व पर खतरा बताया 

चंपई ने लिखा कि आदिवासियों एवं मूलवासियों को आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जाएगा।

पाकुड़, राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गई है। राजनीति से इतर, हमें इस मुद्दे को एक सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, तभी आदिवासियों का अस्तित्व बच पाएगा।

सोरेन ने लिखा- इस वजह से भाजपा में शामिल हो रहा

इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है और बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही हैं। इसलिए आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में, मैंने माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में आस्था जताते हुए भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का फैसला लिया है।

झारखंड के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, पिछड़ों, गरीबों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं एवं आम लोगों के मुद्दों एवं अधिकारों के संघर्ष वाले इस नए अध्याय में आप सभी का सहयोग अपेक्षित है।

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