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Lunar Eclipse 2022: चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण क्यों लगता है, क्या है धार्मिक व वैज्ञानिक मान्यताएं

Chandra Grahan 8 November 2022 सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की घटनाएं समय समय पर होती रहती हैं। इसे लेकर धर्म ग्रंथ और विज्ञान का अगल अगल मत है। इसे लेकर दोनों के पास अपने अपने तर्क हैं। इस साल 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण की घटना होगी।

By M. EkhlaqueEdited By: M EkhlaqueUpdated: Tue, 01 Nov 2022 06:29 PM (IST)
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Lunar Eclipse, 8 November 2022: आठ नवंबर को साल का अंतिम चंद्र ग्रहण लग रहा है।

रांची, डिजिटल डेस्क। Chandra Grahan 8 November 2022 चंद्र ग्रहण हो या सूर्य ग्रहण, इसके बारे में जानने के लिए हर कोई उत्सुक नजर आता है। हर कोई यह जानना चाहता है कि ग्रहण क्यों लगता है। विज्ञान के अपने तर्क हैं, लेकिन इसे लेकर हर धर्म की मान्यताएं अगल-अलग हैं। हिन्दू धर्म में चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। संयोगवश इस वर्ष 2022 में नवंबर माह में दोबारा चंद्र ग्रहण की घटना होने जा रही है। 8 नवंबर 2022 को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। ऐसे में यह जानना बेहद दिलचस्प होगा कि हिन्दू धर्म में चंद्र ग्रहण को लेकर किस तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं।

Chandra Grahan Religious Beliefs: सूरज और चांद को कुछ पल के लिए निगल गया दैत्य राहु

भारतीय ज्योतिष शास्त्र काफी संपन्न माना जाता रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कई ऐसी घोषणाएं समय समय पर की जाती रही हैं, जो सही साबित हुई हैं। दरअसल ज्योतिष शास्त्र विज्ञान के काफी करीब है। इस गणना आधारित होता है। इसलिए इसके परिणाम भी सटिक होते हैं। हिन्दू धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण का सीधा संबंध राहु और केतु ग्रह से है। कहा जाता है कि देवी काल में जब देवताओं को अमृतपान कराया जा रहा था और दैत्यों को वारुणी पान कराया जा रहा था, तब दैत्य राहु को इस बात की जानकारी लग गई। उन्होंने छिपकर देवताओं के कतार में खड़े होकर अमृत पान कर लिया था। इस बात की भनक देवताओं को नहीं लगी। मजेदार बात यह कि इस पूरी घटना को भगवान सूर्य और चंद्रमा देख रहे थे। ऐसी मान्यता है कि दैत्य राहु ने कुछ देर के लिए भगवान सूर्य और चंद्रमा को निगल लिया था। इसी घटनाक्रम को हिन्दू धर्म में सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के नाम से जाना गया। इसी घटना की समय समय पर पुनरावृति होती रहती है।

Chandra Grahan Scientific Beliefs: एक वर्ष में चार बार ग्रहण की घटनाएं बहुत कम होती हैं

अब वैज्ञानिक नजरिए की बात करें। विज्ञान कहता है कि सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना मात्र है। जब कभी पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर चंद्रमा गुजरता है तो पृथ्वी से सूर्य पूर्ण या आंशिक रूप से चंद्रमा द्वारा ढक लिया जाता है। यानी सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है। ऐसी स्थिति में चंद्रमा के पीछे सूर्य का बिंब कुछ समय के लिए ढक जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। इसी तरह जब चंद्रमा और पृथ्वी के बीच सूर्य आ जाता है तो उसे चंद्र ग्रहण कहते हैं। विज्ञान का दावा है कि एक साल में पांच बार सूर्य ग्रहण की घटना हो सकती है। वहीं दो बार चंद्र ग्रहण की घटना संभव है। विज्ञान के अनुसार, एक साल में 4 से ज्यादा ग्रहण बहुत कम देखने को मिलते हैं।

Lunar Eclipse, 8 November 2022: इसलिए ज्योतिष शास्त्र ग्रहण नहीं देखने की देता है सलाह

सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के समय उसे खुली आंखों से नहीं देखा जाना चाहिए। क्योंकि इस दौरान कई तरह की खतरनाक किरणें पृथ्वी पर आती हैं। यह किरणें कई बार मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होती हैं। यही वजह है कि जब भी सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण की घटना होती है तो वैज्ञानिक सोलर ग्लासेस सोलर फिल्टर से इसे देखने की सलाह देते हैं। यह नजारा अद्भुत होता है। सूर्य और चांद की छवि देखने लायक होती है। इसे हर कोई देखना चाहता है। ज्योतिष शास्त्र तो यह भी सलाह देता है कि इन घटनाओं को नहीं देखा जाए। लेकिन चूंकि सोलर ग्लासेस अब बाजार में आ चुके हैं, इसलिए इसके जरिए इसे देखने में कोई बुराई नहीं है। किसी प्रकार का खतरा नहीं है।

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