'35 हजार पदों पर होगी बहाली', CM हेमंत सोरेन ने किया बड़ा एलान; युवाओं को रोजगार से जोड़ना बताया प्राथमिकता
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि युवाओं को रोजगार से जोड़ा जाएगा और इसे लेकर कई हजार पदों को लेकर नियुक्तियां की गई हैं। आने वाले अक्टूबर महीने तक 35 हजार पदों पर बहाली पूरी कर ली जाएगी। ये बातें सीएम हेमंत ने गुरुवार को 78वें स्वतंत्रता दिवस पर मोरहाबादी मैदान में आयोजित किए गिए झंडारोहरण के बाद अपने अभिभाषण में कहीं।
राज्य ब्यूरो, रांची। Jharkhand News: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) ने कहा है कि युवाओं को रोजगार से जोड़ना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। इसे लेकर जहां कई पदों पर नियुक्तियां की गई हैं, वहीं कई प्रक्रियाधीन हैं। अक्टूबर माह तक 35 हजार पदों पर बहाली पूरी कर ली जाएगी।
इनमें उत्पाद सिपाही, आरक्षी, सहायक, आचार्य, महिला पर्यवेक्षिका आदि पद सम्मिलित हैं। झारखंड लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा मुख्य परीक्षा का परिणाम भी शीघ्र जारी होगा। मुख्यमंत्री गुरुवार को 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मोरहाबादी मैदान में झंडारोहरण के बाद अपना अभिभाषण दे रहे थे।
विपक्ष पर साधा निशाना
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रमों से लाभ लेकर अब तक दो लाख से अधिक युवा निजी क्षेत्र में रोजगार प्राप्त कर चुके हैं। हेमंत ने अपने अभिभाषण में बिना नाम लिए विपक्ष पर भी निशाना साधा।उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने आदिवासियों, पिछड़ों और दलितों को उनका हक-अधिकार दिलाकर उन्हें भरोसा दिलाया है कि विकास में उनकी भी बराबर की भागीदारी है।
पिछले साढ़े चार वर्षों में उनकी सरकार ने झारखंड के लोगों की बेहतरी के लिए कई ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं, लेकिन विकास के रास्ते में कई चुनौतियां भी आईं।
हमने हर कठिनाई और बाधा का डटकर किया सामना
उनकी सरकार गठन के तुरंत बाद कोरोना महामारी के प्रकोप ने जीवन और जीविका को बुरी तरह प्रभावित किया। इसके बाद निहित स्वार्थ से प्रेरित कुछ विकास विरोधी तत्वों द्वारा झारखंड के विकास के रास्ते में बार-बार परेशानियां खड़ी करने का कुत्सित प्रयास किया गया।
हमने हर कठिनाई और बाधा का डटकर मुकाबला किया। विरोधी अपने मंसूबे में सफल नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि हक-अधिकार और मान-सम्मान की रक्षा के लिए संघर्ष करना हमारी परंपरा रही है।मुख्यमंत्री ने झारखंड की फिजाएं बदल दी हैं। गरीब, किसान, मजदूर, पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक अब खुद को मजबूर ओर असहाय महसूस नहीं करते।
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