बिहार के सियासी फॉर्मूले को झारखंड में लागू करेंगे CM नीतीश, ललन सिंह ने नेताओं को सौंपा टास्क; OBC-दलित वोट बैंक पर नजर
जदयू ने बिहार में अपने राजनीतिक फॉर्मूले को झारखंड में आजमाने की तैयारी की है। नीतीश कुमार की बदौलत राज्य में पार्टी विस्तार करने की कोशिश में गंभीरता से जुट गई है। पार्टी का लक्ष्य आगामी विधानसभा चुनाव है जो अगले साल नवंबर-दिसंबर में होंगे। इससे पहले होने वाले लोकसभा चुनाव में जदयू की नजर हजारीबाग सीट पर है। हालांकि इस पर आइएनडीआइए में फैसला होगा।
By Jagran NewsEdited By: Shashank ShekharUpdated: Wed, 29 Nov 2023 08:24 PM (IST)
प्रदीप सिंह, रांची। बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) अपने नेता नीतीश कुमार के करिश्मा की बदौलत झारखंड में भी विस्तार करने के प्रयास में गंभीरता से जुट गई है।
जदयू का लक्ष्य आगामी विधानसभा चुनाव है, जो अगले साल नवंबर-दिसंबर में होंगे। इससे पहले होने वाले लोकसभा चुनाव में जदयू की नजर हजारीबाग सीट पर है, लेकिन इस पर आइएनडीआइए में फैसला होगा।फिलहाल, जदयू ने बिहार में अपने राजनीतिक फॉर्मूले को कमोवेश झारखंड में आजमाने की तैयारी की है। फोकस पिछड़ा, अति पिछड़ा और दलित वोटर होंगे, जिसके बूते प्रभाव बढ़ाया जा सकता है। नीतीश कुमार खुद इसकी देख-रेख कर रहे हैं और पटना में कई दौर की बैठकें प्रदेश टीम में सक्रिय नेताओं संग हो चुकी है। खीरू महतो को जदयू से राज्यसभा में भेजना भी इसी कसरत की एक कड़ी है।
जनवरी में नीतीश कुमार का दौरा प्रस्तावित
फिलहाल, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह झारखंड में संगठनात्मक विस्तार के मिशन को लेकर यहां कैंप कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश नेतृत्व को निर्देश दिया है कि सदस्यता अभियान लगातार जारी रखें। उल्लेखनीय है कि झारखंड में कभी जदयू के 11 विधायक हुआ करते थे। पार्टी के लिए संभावनाएं तलाश रहे नेताओं के लिए यह तथ्य एक बड़ी वजह है, जिसके आधार पर फिर से संगठनात्मक विस्तार की कवायद हो रही है।
जदयू ने पिछड़े समुदाय में अधिक तादाद वाले कुर्मी, कुशवाहा आदि जातियों के संगठनों से संबद्ध प्रमुख नेताओं को संगठन से जोड़ा है। आने वाले दिनों में यह प्रक्रिया और जोर पकड़ने की संभावना है। जदयू के प्रदेश प्रभारी और नीतीश सरकार में मंत्री डा. अशोक चौधरी हर माह आकर संगठनात्मक तैयारियों का जायजा लेते हैं। अगले वर्ष जनवरी माह में नीतीश कुमार का दौरा भी प्रस्तावित है।
भाजपा-आजसू गठबंधन को झटका देने की रणनीति
जदयू आइएनडीआइए गठबंधन के साथ है। जिन समुदायों पर जदयू के फोकस करने की रणनीति है, उससे भाजपा को झटका लग सकता है। भाजपा और आजसू पार्टी का राज्य में गठबंधन है।
आजसू पार्टी के प्रमुख सुदेश महतो का प्रभाव कुर्मी मतदाताओं पर है। पिछले विधानसभा चुनाव में आजसू पार्टी के साथ समझौता नहीं होने का असर परिणामों पर साफ देखने को मिला था।हालांकि, सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि नीतीश कुमार का कितना करिश्मा यहां देखने को मिलेगा। अगर इसमें कामयाबी मिली तो भाजपा-आजसू गठबंधन को झटका लगेगा। बिहार से सटे राज्य के इलाकों में उनके प्रभाव का असर पड़ सकता है।
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