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Ranchi के संत पाल महागिरजाघर का 152 साल पुराना है इतिहास, कर्नल डाल्‍टन ने रखी थी नींव, 26 हजार का आया था खर्च

रांची के बहुबाजार में स्थित संत पाल महागिरजाघर की नींव 152 साल पहले कर्नल डाल्‍टन ने रखी थी। इसे बनाने के लिए जिन भी लोगों ने आर्थिक योगदान दिया था उन सभी लोगों के नाम एक कागज पर लिख उसे बोतल में बंद कर नींव में डाल दिया गया था।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Fri, 09 Dec 2022 09:43 AM (IST)
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रांची के संत पाल महागिरजाघर की गिनती शहर के महत्‍वपूर्ण गिरजाघरों में होती है
रांची, जासं। बहुबाजार स्थित संत पाल महा गिरजाघर (Saint Paul's Cathedral) की गिनती राज्य के महत्वपूर्ण गिरजाघरों में होती है। आज से करीब 152 साल पहले फरवरी, 1870 में बिशप मिलमैन (Bishop Millman) ने आपसी विमर्श के उपरांत एक पक्का आराधनालय बनाने का निर्णय लिया। उसी साल सितंबर में तब के छोटानागपुर के कमिश्नर कर्नल डाल्टन (Colonel Dalton) ने गिरजाघर की नींव रखी। बताया जाता है कि पक्का गिरजाघर बनने से पूर्व यहां झोपड़ी में प्रार्थना होती थी। नींव कर्नल डाल्टन ने सितंबर, 1870 को रखी थी।

चर्च बनने से पहले झोपड़ी में होती थी प्रार्थना

इस चर्च के बनने से पहले प्रार्थना एक झोपड़ी में होती थी। संत पाल गिरजाघर के निर्माण में उन दिनों कुल 26 हजार रुपये खर्च हुए थे। आर्थर हेजोर्ग ने कैथेड्रल के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कर्नल डाल्टन ने 38 यूरो और मिलमैन ने 26 यूरो गिरजाघर के निर्माण के लिए दिए थे। साथ ही रांची के लोगों ने चार हजार रुपये का चंदा दिया था। नींव के पत्थर के साथ दान दाताओं के नाम भी एक मोटे कागज पर लिखकर उसे बोतल में बंद कर नींव में डाल दिया गया था।

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तीन साल में बनकर तैयार हुआ था भव्य गिरजाघर

सितंबर, 1870 में गिरजाघर बनने का काम शुरू हुआ। तीन सालों में निर्माण कार्य लगभग पूरे हो जाने के बाद नौ मार्च, 1873 को नवनिर्मित महागिरजा घर का विधिवत संस्कार बिशप राबर्ट मिलमैन द्वारा संपन्न हुआ। परिसर में एक बड़ी सी लोहे की खूबसूरत नाव बनी हुई है। यह उन मिशनरियों की याद में बनाया गया है। जो 18वीं सदी में भारत आए थे। वहीं, गिरजाघर का नामकरण धर्म प्रचारक पाल के नाम पर किया गया।

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