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झारखंड में प्रतियोगी परीक्षा विधेयक पास, नकल करना पड़ेगा महंगा; जान लें क्या हैं इसमें प्रविधान

झारखंड में एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिल पास हुआ है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए यह सूचना बहुत जरूरी है क्योंकि यह विधेयक अब परीक्षाओं में होने वाली नकल और अनुचित साधनों के उपयोग और अनियमितताओं पर नकेल कसने का एक कारगर उपाय साबित होगा। इसके अलावा प्रश्नपत्र लीक की घटनाओं को भी इस बदलाव के तहत रोका जा सकेगा।

By Yashodhan SharmaEdited By: Yashodhan SharmaPublished: Thu, 03 Aug 2023 08:55 PM (IST)Updated: Thu, 03 Aug 2023 08:55 PM (IST)
झारखंड में प्रतियोगी परीक्षा विधेयक पास, नकल करना पड़ेगा महंगा; जान लें क्या हैं इसमें प्रविधान

जागरण संवाददाता, रांची: झारखंड में एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिल पास हुआ है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए यह सूचना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह विधेयक अब परीक्षाओं में होने वाली नकल और अनुचित साधनों के उपयोग और अनियमितताओं पर नकेल कसने का एक कारगर उपाय साबित होगा।

इसके अलावा प्रश्नपत्र लीक की घटनाओं को भी इस बदलाव के तहत रोका जा सकेगा। इस बिल में धोखाधड़ी और पेपर लीक के लिए कड़ी सजा का प्रवाधान है।

इसी कड़ी में प्रदेश सरकार ने विधानसभा इस विधेयक को पास किया है। ऐसे में छात्रों को बिंदुओं में समझना जरूरी होगा कि आखिर क्यों इस बिल को पारित किया गया है, ताकि परीक्षा के वक्त उनसे कोई गलती न हो सके।

संशोधित विधेयक के प्रविधान

  • अगर परीक्षार्थी दूसरी बार नकल करता है तो उसे सात साल की सजा का प्रविधान किया गया था, जिसे संशोधित करते हुए तीन साल की गई है। इसमें जुर्माने की राशि दस लाख रुपये है। जुर्माने की राशि नहीं देने पर तीस माह की अतिरिक्त सजा।
  • परीक्षा संचालन के लिए अनुबंधित व्यक्ति, प्रिंटिंग प्रेस उसके कर्मी, परीक्षा प्राधिकरण का कोई कर्मी कोचिंग संस्था या अन्य कोई संस्था साजिश के तहत गोपनीयता भंग करता है तो उसे दस साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा व दो करोड़ रुपये से लेकर दस करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगेगा। ऐसे में जुर्माने की रकम नहीं देने पर तीन वर्ष तक अतिरिक्त जेल।
  • अगर कोई व्यक्ति संगठित अपराध में परीक्षा प्राधिकरण के साथ साजिश करता है। उसे भी दस साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा होगी। उसपर भी दो करोड़ का जुर्माना लगेगा। जुर्माने की राशि का भुगतान नहीं करने पर तीन वर्ष का अतिरिक्त जेल।
  • कई व्यक्ति, प्रिंटिंग प्रेस, परीक्षा संचालन के लिए अनुबंधित है और वह प्रतियोगिता परीक्षा के प्रश्न पत्रों की किसी भी समय परीक्षा समाप्त होने के पूर्व या उसके बाद चोरी, जबरन वसूली, लूट में शामिल रहता है।
  • ओएमआर शीट को नष्ट करता है तो उसे सात से दस वर्ष की सजा और जुर्माने में एक करोड़ रुपये से दो करोड़ रुपये तक का प्रविधान किया गया है। उसे जुर्माने की राशि नहीं देने पर तीन वर्ष की अतिरिक्त कारावास की सजा काटनी होगी।
  • किसी परीक्षार्थी पर चार्जशीट होती है तो उसपर चार्जशीट की तिथि से दो से पांच वर्ष तक तथा दोष सिद्ध होने पर दस वर्ष के लिए सभी प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल होने पर प्रतिबंध होगा, अगर उसी परीक्षार्थी पर उसी मामले में दोबारा चार्जशीट होती है तो उसे पांच से दस वर्ष की सजा और दोष साबित होने पर प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने पर आजीवन प्रतिबंध लगेगा।

विधेयक के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  1. FIR के लिए प्रारंभिक जांच की आवश्यकता नहीं।
  2. आरोपित व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले अनुसंधान पदाधिकारी को किसी से अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
  3. इस अपराध के मामले का अनुसंधान डीएसपी से नीचे स्तर का पदाधिकारी नहीं करेंगे। जहां डीएसपी तैनात नहीं होंगे, वहां एसपी स्तर के पदाधिकारी अनुसंधान करेंगे।
  4. इस मामले में सुनवाई के लिए राज्य सरकार झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से विशेष न्यायालय का गठन करेगी।

विपक्ष ने बताया 'काला कानून'

गौरतलब है कि विधानसभा में मानसून सत्र के पांचवे दिन द्वितीय पाली में विपक्ष के विरोध, बवाल, हंगामे के बीच विधानसभा से कुछ संशोधनों के साथ झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक 2023 पारित किया गया।

इसके बाद विपक्ष के विधायकों ने चर्चा के दौरान इसे काला कानून बताया, आसन के सामने नारेबाजी की और विधेयक की प्रतियां फाड़कर सदन का बहिष्कार किया। 

सदन में भाजपा के सभी विधायक आसन के सामने पहुंच गए। काला कानून वापस लो व झारखंड सरकार हाय हाय का नारा लगाने लगे।

दूसरी तरफ से सत्ता पक्ष के भी कुछ विधायक आसन के सामने पहुंच गए और विपक्ष का विरोध करने लगे। इसी बीच आसन के सामने ही भाजपा के विधायक अमित मंडल, शशिभूषण मेहता, अमर बाउरी, नवीन जायसवाल ने विधेयक की प्रतियां फाड़कर सदन में लहरा दिया और सदन का बहिष्कार कर दिया।


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