Bengaluru Water Crisis: 'कहीं रांची का हाल बेंगलुरू जैसा न हो जाए', पेयजल को लेकर झारखंड HC ने जताई चिंता
झारखंड हाईकोर्ट ने घटते जलस्तर तथा पेयजल को लेकर चिंता जाहिर की है। सोमवार को जस्टिस आर मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रौशन की खंडपीठ ने रांची में घटते जलस्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कहीं रांची का हाल भी बेंगलुरू जैसा न हो जाए। अदालत ने गर्मी में पेयजल की समस्या से निपटने की तैयारी को लेकर सरकार से जवाब मांगा है।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट ने घटते जलस्तर तथा शुद्ध पेयजल को लेकर चिंता जाहिर की है। सोमवार को जस्टिस आर मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रौशन की खंडपीठ ने रांची में घटते जलस्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कहीं रांची का हाल भी बेंगलुरू जैसा न हो जाए।
अदालत ने जलस्तर को बरकरार रखने को लेकर योजना और गर्मी में पेयजल की समस्या से निपटने की तैयारी को लेकर राज्य सरकार और रांची नगर निगम से जवाब मांगा है।
अदालत ने पूछा है कि गर्मी में पेयजल संकट ने निपटने के लिए क्या तैयारी की गई है। साथ ही जलस्तर को बनाए रखने के लिए सरकार की क्या योजना है। अदालत ने हटिया, कांके और गेतलसूद डैम में उपलब्ध पानी की जानकारी भी मांगी है। इनका कैचमेंट एरिया वर्तमान में कितना है तथा पूर्व में कितना था।
अदालत ने सरकार को केंद्रीय भूगर्भ जल स्तर बोर्ड के साथ बैठक कर इस मामले पर विमर्श करने और झारखंड स्पेस अप्लीकेशन सेंटर को सर्वे कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई तीन अप्रैल को होगी। बता दें कि इस मामले में अदालत ने पूर्व में स्वत: संज्ञान लिया था।
पिछले कई वर्षों से रांची में पानी का संकट- अदालत
सोमवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि रांची में पानी का संकट पिछले कई वर्षों से हो रहा है। जलस्तर नीचे चले जाने से लोगों को पीने का पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। सरकार और नगर निगम को इससे निपटने और जलस्तर को बरकरार रखने के लिए योजना बना कर काम करना चाहिए ताकि भविष्य में जनता को जल संकट का सामना नहीं करना पड़े।अदालत ने कहा कि रांची का हाल भी कहीं बेंगलुरु जैसा न हो जाए, जैसा संकट अभी वहां के लोग झेल रहे हैं। सरकार की ओर से बताया गया कि जल संरक्षण के लिए वाटर हार्वेस्टिंग किया जा रहा है। डैम के कैचमेंट एरिया को बढ़ाया जा रहा है।उन्होंने बताया कि छह इंच की डीप बोरिंग के लिए उपायुक्त से अनुमति लेनी पड़ रही है। उपायुक्त की अनुमति के बाद ही डीप बोरिंग की अनुमति दी जा रही है। आम लोगों को चार इंच की बोरिंग कराने की ही अनुमति है। -
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