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Lok Sabha Election : कांग्रेस को 1984 में रिकॉर्ड तोड़ सफलता मिली, पहली बार दो मुस्लिम पहुंचे लोकसभा

Lok Sabha Election 2024 Jharkhand Politics पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद के समय में कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव में इतिहास रच दिया था। इसकी आज भी सियासी गलियारों में चर्चा होती है। उस वक्त झारखंड अविभाजित बिहार का हिस्सा हुआ करता था। आइए अतीत के आईने से जानते हैं कि उस वक्त चुनावों में क्या कुछ हुआ था।

By Mritunjay Pathak Edited By: Yogesh Sahu Updated: Wed, 24 Apr 2024 01:39 PM (IST)
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Lok Sabha Election : कांग्रेस को 1984 में रिकॉर्ड तोड़ सफलता मिली, पहली बार दो मुस्लिम पहुंचे लोकसभा
मृत्युंजय पाठक, रांची। साल 1984 में हुए लोकसभा का आठवां चुनाव कांग्रेस की रिकॉर्ड तोड़ सफलता के लिए याद किया जाता है। इंदिरा गांधी की हत्या से पैदा हुई हमदर्दी ने उनके पुत्र राजीव गांधी को सत्ता पर बैठाया।

कांग्रेस ने 401 सीटों का प्रचंड बहुमत हासिल कर इतिहास रचा। यह चुनाव 542 लोकसभा सीटों के लिए हुआ था। तब झारखंड राज्य अविभाजित बिहार का हिस्सा था। बिहार में कुल लोकसभा की 54 सीटें थीं। झारखंड क्षेत्र में कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

इस क्षेत्र की सभी 14 सीटों पर कांग्रेस विजयी रही। यह चुनाव मुस्लिम प्रतिनिधित्व के नजरिए से भी खास रहा। पहली बार एक साथ झारखंड क्षेत्र से दो सांसद लोकसभा पहुंचे। कांग्रेस के टिकट पर गिरिडीह से सरफराज अहमद और गोड्डा से समीनुद्दीन निर्वाचित हुए थे।

1951 से 2019 के बीच 17 बार हुए लोकसभा चुनाव में 8 मुस्लिम सांसद चुने गए। 1951 में रांची नार्थ ईस्ट से अब्दुल इब्राहिम, 1957 में गिरिडीह से काजी एस ए मतीन, 1967 में गिरिडीह से एआई अहमद, 1980 में गोड्डा से समीनुद्दीन, 1991 में कोडरमा से मुमताज अंसारी और 2004 में गोड्डा से फुरकान अंसारी लोकसभा के लिए चुने गए थे।

बिहार की अपेक्षा झारखंड में तेज सहानुभूति लहर

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति लहर थी। यह सहानुभूति लहर अविभाजित बिहार के जमाने में बिहार से ज्यादा झारखंड क्षेत्र में दिखी थी।

झारखंड की सभी 14 सीटों पर कांग्रेस विजयी रही। विपक्ष को करारी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा का खाता तक नहीं खुला।

खूंटी से कड़िया मुंडा, कोडरमा से रीतलाल प्रसाद वर्मा, दुमका से शिबू सोरेन और धनबाद से एके राय जैसे दिग्गज चुनाव मैदान में खेत रहे थे।

हालांकि, बिहार क्षेत्र में इतनी तेज सहानुभूति लहर नहीं रही। झारखंड को छोड़कर बिहार क्षेत्र की 40 सीटों में 34 पर ही कांग्रेस को जीत मिली थी।

छह सीटों पर- जहानाबाद से सीपीआई के रामाश्रय प्रसाद सिंह, सासाराम से इंडियन कांग्रेस (जे) के जगजीवन राम, नालंदा से भाकपा के विजय कुमार यादव, दरभंगा से लोकदल के विजय कुमार मिश्रा, छपरा से जनता पार्टी के राम बहादुर सिंह और गोपालगंज से निर्दलीय काली प्रसाद पांडेय निर्वाचित हुए थे।

पलामू ने राम सुंदर दास को किया खारिज

1979 से 1980 के बीच राम सुंदर दास बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे। वे बिहार के सारण के रहने वाले थे। 1984 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी ने राम सुंदर दास को पलामू सुरक्षित क्षेत्र से खड़ा किया था।

इंदिरा लहर के कारण राम सुंदर दास जैसे दिग्गज को पलामू में हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस की कमला कुमारी विजयी हुई थी।

क्षेत्र विजयी प्रत्याशी दल
राजमहल सेठ हेंब्रम कांग्रेस
दुमका पृथ्वी चंद्र किस्कू कांग्रेस
गोड्डा समीनुद्दीन कांग्रेस
चतरा योगेश्वर प्रसाद कांग्रेस
कोडरमा तिलकधारी सिंह कांग्रेस
गिरिडीह सरफराज अहमद कांग्रेस
धनबाद शंकरदयाल सिंह कांग्रेस
हजारीबाग दामोदर पांडेय कांग्रेस
रांची शिव प्रसाद साहू कांग्रेस
जमशेदपुर गोपेश्वर कांग्रेस
सिंहभूम बागुन सुम्ब्रई कांग्रेस
खूंटी सिमोन तिग्गा कांग्रेस
लोहरदगा सुमति उरांव कांग्रेस
पलामू कमला कुमारी कांग्रेस
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