Land Scam Case: झारखंड में माहौल बिगाड़ने की चल रही साजिश! सियासी अटकलों के बीच JMM ने लगाया गंभीर आरोप
Land Scam Case झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और भाजपा ने सरकार गिराने के कई भरसक प्रयास किए। उन्हें मुंह की खानी पड़ी। 20 जनवरी को ईडी के अधिकारियों ने हेमंत सोरेन से सात घंटे से अधिक अवधि तक कैमरे के समक्ष पूछताछ की। उन्होंने सभी प्रश्नों का जवाब दर्ज कराया था।
राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सवाल उठाया है कि क्या राज्यों के सीएम को दिल्ली आने पर केंद्र सरकार कुछ भी कर सकती है और राज्यों के सीएम को अपने प्रदेश की सीमाओं में ही रहना होगा।
सोमवार की देर रात झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और भाजपा ने सरकार गिराने के कई भरसक प्रयास किए। उन्हें मुंह की खानी पड़ी। 20 जनवरी को ईडी के अधिकारियों ने हेमंत सोरेन से सात घंटे से अधिक अवधि तक कैमरे के समक्ष पूछताछ की। उन्होंने सभी प्रश्नों का जवाब दर्ज कराया था।
उन्होंने कहा कि डेढ़ माह के अंदर तीन बार हेमंत सोरेन ने ईडी कार्यालय को भेजे गए पत्र के जरिए जानकारी दी। लोकतांत्रिक तरीके से चुने हुए एक मुख्यमंत्री से पूछताछ के नाम पर ईडी के अधिकारी कितना समय चाहते हैं? पूछताछ के तीन-चार दिनों के अंदर ही दोबारा एक समन जारी कर दिया जाता है और कहा जाता है कि उन्हें तीन-चार दिनों के अंदर ही पुनः जवाब दर्ज कराने आना है।
झामुमो ने ED पर लगाया ये आरोप
विनोद पांडेय का कहना है कि मुख्यमंत्री के तौर पर स्वाभाविक तौर पर तीन से चार सप्ताह का पूर्व निर्धारित कार्यक्रम होता है। उन्हें प्रशासनिक दायित्वों के निर्वाहन के साथ-साथ राजनीतिक दायित्वों का भी निर्वहन करना पड़ता है। इन परिस्थितियों के बावजूद ईडी की गतिविधि में छिपी राजनीति को समझते हुए भी हेमंत सोरेन ने ईडी अधिकारियों को 31 जनवरी को दोपहर एक बजे का समय पूछताछ के लिए बुलाया है।
उन्हें 29 जनवरी और 31 जनवरी को जिला मुख्यालयों में उपस्थित होकर महत्वाकांक्षी अबुआ आवास योजना के हजारों जरूरतमंद लाभुकों के बीच स्वीकृति पत्र वितरित करना था। ईडी द्वारा अनायास मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर आग्नेयास्त्रों से लैस सैकड़ों जवानों के साथ सुबह-सुबह पहुंचना विधिसम्मत प्रतीत नहीं होता है।
आखिर ऐसी क्या जल्दबाजी थी कि ईडी के अधिकारी पूछताछ के लिए दो दिन भी इंतजार नहीं कर सकते थे और वह भी तब, जब एक सप्ताह पहले ही सात घंटे की पूछताछ हो चुकी है।
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