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'श्रीराम मंदिर का निर्माण राजनीतिक विषय नहीं', परांडे ने नेताओं को दिया जवाब; राम के नाम पर पूरा भारत एक

Ram Mandir News राम मंदिर को राजनीति से जोड़ने वालों को विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा है कि यह न तो राजनीतिक विषय है ना ही इससे समाज में विद्वेष फैलेगा। भगवान राम के नाम पर पूरा देश एक है। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि का आंदोलन विश्व के सबसे पुराने आंदोलनों में से एक है।

By Jagran News Edited By: Aysha SheikhUpdated: Sat, 30 Dec 2023 11:11 AM (IST)
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'श्रीराम मंदिर का निर्माण राजनीतिक विषय नहीं', परांडे ने नेताओं को दिया जवाब; राम के नाम पर पूरा भारत एक
संजय कुमार, रांची। अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के उत्सव को लेकर पूरे देश में हर्ष का माहौल है। लोग नवनिर्मित मंदिर में रामलला विराजमान के दर्शन को लेकर आतुर हैं। शताब्दियों से हर सनातनी मन इस शुभ घड़ी की प्रतीक्षा कर रहा है। शीघ्र ही आनंद का यह अवसर आने वाला है।

इस बीच कई नेताओं ने इसे राजनीतिक विषय बताते हुए समारोह में भाग नहीं लेने की बात कही है। दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मंदिर निर्माण से समाज में विद्वेष फैलने का भी भ्रम फैला रहे हैं। इस विषय पर विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा है कि यह न तो राजनीतिक विषय है, ना ही इससे समाज में विद्वेष फैलेगा।

उन्होंने कहा कि भगवान राम के नाम पर पूरा देश एक है। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि का आंदोलन विश्व के सबसे पुराने आंदोलनों में से एक है। किसी भी देश के इतिहास में किसी तीर्थस्थल के लिए इतने लंबे समय तक चले आंदोलन के उदाहरण नहीं मिलते हैं। यह हिंदू धर्म के पुनरुत्थान का आंदोलन है। परांडे ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत के क्रम में ये उद्गार व्यक्त किए।

परांडे ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में राजनीतिक दलों के शामिल होने की बात है तो उस समय सभी पार्टियों को इसमें सहभागी होने को कहा गया था। यदि सभी दलों ने उस समय समर्थन किया होता तो यह राजनीतिक मुद्दा बनता ही नहीं। कौन साथ आए और कौन नहीं आए, यह उनका अपना निर्णय है। यह भी समझना होगा कि भारत के कण-कण में राम हैं।

यहां हर जाति-संप्रदाय के लोगों के मन में राम बसते हैं। जो लोग समाज में भ्रम फैला रहे हैं उनसे देशवासियों को सचेत रहने की जरूरत है। प्रभु राम सामाजिक समरसता के सबसे बड़े उदाहरण हैं। इसलिए इस उत्सव में समाज के सभी वर्ग के लोगों को भाग लेने चाहिए और भगवान राम के काम में अपना योगदान देना चाहिए। जिनको 22 जनवरी के आयोजन में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से बुलाया जा रहा है, उन्हें जरूर जाना चाहिए, जिन्हें आमंत्रण नहीं मिल सका, उनके लिए भी कोई रोक नहीं। यह तो श्रद्धा का विषय है।

इस आंदोलन में विहिप 1984 में शामिल हुई

मिलिंद परांडे ने कहा कि श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए कई लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया। पिछले 500 वर्षों में इसके लिए 76 लड़ाइयां लड़ी गईं। लाखों लोगों का बलिदान हुआ। विश्व हिंदू परिषद तो अशोक सिंहल जी के मार्गदर्शन में 1984 में इस आंदोलन में शामिल हुई। आंदोलन के विभिन्न चरण थे, जैसे -श्रीराम शिलापूजन, 1990 और 1992 की कारसेवा, पादुका पूजन, ज्योत यात्रा।

इन सभी संघर्षों के परिणामस्वरूप यह आंदोलन इस पड़ाव तक पहुंचा। साथ ही एक ऐतिहासिक तथ्य के रूप में वर्ष 2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने श्रीराम जन्मभूमि मामले का निर्णय हिंदुओं के पक्ष में दिया। फिर यह राजनीतिक विषय कैसे हुआ। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसे संगठित और मजबूत हिंदू समाज का निर्माण करना चाहते हैं कि फिर कोई हमारी आस्था और भक्ति का अपमान न कर सके, उसे चोट नहीं पहुंचा सके।

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