Conversion in Jharkhand: पलामू में चल रहा मतांतरण का खेल, एससी-एसटी निशाने पर
Conversion in Jharkhand झारखंड के पलामू जिले में फिर से मतांतरण का मामला सामने आया है। करीब दो दर्जन लोगों को लोभ-लालच और छल-प्रपंच के नाम पर सनातन धर्म से ईसाई धर्म में मतांतरण का खेल चल रहा है।
By Mritunjay PathakEdited By: Sanjay KumarUpdated: Wed, 19 Oct 2022 12:21 PM (IST)
मेदिनीनगर (पलामू), [मृत्युंजय पाठक]। Conversion in Jharkhand झारखंड के पलामू जिले के सतबरवा प्रखंड के दुलसुलमा पंचायत के देवी मंडप टोला में करीब दो दर्जन लोगों के सनातन धर्म से ईसाई धर्म में जाने के प्रकरण ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि पलामू जिले में मतांतरण का खेल को उजागर किया है। हालांकि मतांतरण करने वाले एक तपसी राम की मौत के बाद श्रद्धकर्म की पद्धति को लेकर हुए विवाद के बाद मतांतरण करने वाले पुन: सनातन धर्म में लौट गए हैं। अपने धर्म में वापसी करने वालों ने मतांतरण की जो कहानी बताई है वह हैरान करने वाली है। लोभ-लालच और छल-प्रपंच के नाम पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की बस्तियों में मतांतरण का खेल चल रहा है।
महिला को नौकरी देकर बनाया माध्यम
पलामू प्रमंडल में बड़े पैमाने पर मतांतरण का खेल चल रहा है। यह खेल खलने वालों के निशाने पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग हैं। दुलसुलमा पंचायत के मंडप टोला के जिन दो दर्जन लोग ईसाई धर्म में शामिल हुए थे। सभी अनुसूचित जनजाति के हैं। ये सभी गांव की एक महिला के बहकावे में आकर मतांतरित हुए थे। महिला ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित एक अस्पताल में काम करती हैं। उसी ने सुख-शांति और निरोग रहने के लिए ईसाई धर्म में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। गांव के तमाम लोग सनातन धर्म में वापसी का संकल्प ले चुके हैं। सनातन धर्म के अनुसार स्वजन का श्रार्द्धक्रम किया। मुंडन कराया।
पैसा, नौकरी और शादी का झांसा
मतांतरण करने वालों ने जो कहानी सुनाई वह हैरान करने वाली है। तपसी राम के भतीजे चंद्रदेव राम बताते हैं कि तरह-तरह का प्रलोभन दिया जाता है। ईसाई धर्म में शामिल होने पर बीमारी और भूत-प्रेत से मुक्ति मिल जाएगी। इस धर्म के लोग शिक्षित और नौकरीपेशा होते हैं। लड़कियां भी शिक्षित और नौकरी पेशा होती है। जो कुंवारे हैं उनकी शादी नौकरी पेशा लड़की से होगी। पलामू के गांवों की बदल रही सामाजिक संरचना मतांतरण कराने वालों के निशाने पर गरीब दलित और आदिवासियों की बस्ती हैं। मतांतरण कराने वाले पहले गांव के किसी एक महिला या पुरुष को अपने संस्थान में नियोजन देते हैं। उसका ब्रेनवास किया जाता है। फिर उसको माध्यम बनाकर गांव में मतांतरण का खेल खेला जाता है। पलामू के जिले के सतबरवा, विश्रापुर, हैदरनगर, नौडीहा बाजार, छतरपुर में अभियान चलाया जा रहा है। देखते ही देखते गांव में चर्च खड़ा हो जाता है। लातेहार जिले के कुछ प्रखंड तो ईसाई बहुल हो चुके हैं।क्या है मुखिया का कहना
दुलसुलमा पंचायत के मुखिया ब्रह्मदेव सिंह का कहना है कि वर्जन लोभ और छल से बड़े पैमाने पर दलित और आदिवासियों का मतांतरण हो रहा है। यह किसी से छिपी बात नहीं है। मेरे पहल पर दुलसुलमा के लोग सनातन धर्म में वापस कर चुके हैं। मतांतरण न हो इसे लेकर सरकार स्तर पर प्रयास होना चाहिए।
स्थानिय निवासी का क्या है कहना
दुलसुलमा देवी मंडप टोला निवासी जयनाथ सिंह का कहना है कि वर्जन मतांतरण से कोई फायदा नहीं होने वाला है। झूठा लालच देकर यह सब कराया जाता है। मतांतरण कराने वाले क्या दावा कर सकते हैं कि उनके धर्म में कोई बीमार नहीं होगा या किसी की मृत्यु नहीं होगी।विश्व हिंदू परिषद ने क्या कहा
पलामू विश्व हिंदू परिषद के जिला मंत्री दामोदर मिश्रा ने कहा कि मतांतरण कराने वालों को हेमंत सोरेन सरकार की शह है। दुलसुलमा की घटना को विश्व हिंदू परिषद हर स्तर पर विरोध करती है। गांव में जल्द ही एक समाराेह आयोजित कर सभी की विधिवत रूप से हिंदू धर्म में वापसी कराई जाएगी।
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