Conversion in Jharkhand: झारखंड में मतांतरण के विरुद्ध कानून है, लेकिन मामले को पुलिस करती है नजरअंदाज
Conversion in Jharkhand झारखंड पुलिस के सेवानिवृत आइपीएस अधिकारी राजीव रंजन का मानना है कि मतांतरण के विरुद्ध झारखंड में कानून तो है लेकिन पुलिस का एक्शन जैसा होना चाहिए वैसा नहीं है। कहा- सरकार उसे गंभीरता से नहीं लेगी तो पुलिस भी उसी नजरिये से पूरे मामले को देखेगी।
By Jagran NewsEdited By: Sanjay KumarUpdated: Thu, 01 Dec 2022 11:42 AM (IST)
रांची, राज्य ब्यूरो। Conversion in Jharkhand झारखंड पुलिस के सेवानिवृत आइपीएस अधिकारी राजीव रंजन के अनुसार, मतांतरण के विरुद्ध झारखंड में कानून तो है, लेकिन पुलिस का एक्शन जैसा होना चाहिए, वैसा नहीं है। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह एक ऐसा विषय है, जिसपर पुलिस भी सरकार की मंशा व सख्ती के अनुसार काम करती है। यूं कहें तो मतांतरण के विरुद्ध पुलिस की कार्रवाई बहुत हद तक सरकार की सख्ती पर निर्भर करती है। अगर सरकार चिंतित होगी तो पुलिस भी उसके अनुसार ही काम करेगी। अगर मतांतरण के बावजूद सरकार उसे गंभीरता से नहीं लेगी तो पुलिस भी उसी नजरिये से पूरे मामले को देखेगी।
सितंबर 2017 में झारखंड धर्म स्वतंत्र अधिनियम के रूप में कानून हुआ पारित
झारखंड में 11 सितंबर 2017 को झारखंड धर्म स्वतंत्र अधिनियम के रूप में कानून पारित हुआ। इसमें जबरन धर्मांतरण व प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने के मामले में सजा दिलाने का प्रविधान है। बहुत से मामलों में यह होता है कि स्वेच्छा से या प्रलोभन में धर्मांतरण करने वाले पुलिस तक नहीं पहुंचते हैं। मामला पुलिस के पास तब पहुंचता है, जब समाज के लोग पुलिस के पास आते हैं।
धर्मांतरण के पीछे अशिक्षा एक बड़ी वजह
धर्मांतरण के पीछे एक वजह अशिक्षा भी है। हालांकि, जब से झारखंड में यह अधिनियम लागू हुआ है, धर्मांतरण पर बहुत हद तक अंकुश लगा है। पहले यह समस्या अधिक थी। भाेले-भाले आदिवासी धर्मांतरण कराने वालों का शिकार आसानी से बन जाते थे। जब मैं सिमडेगा का एसपी था, तब धर्मांतरण का एक ऐसा ही मामला सामने आया था। उस मामले में दो भाइयों में एक भाई अपने परिवार के साथ धर्म परिवर्तन करने जा रहा था। तब यह हुआ था कि दूसरे भाई ने पुलिस के पास पहुंचकर उसे रोकने का आग्रह किया था, जिसमें पुलिस ने हस्तक्षेप किया था।लोगों में मतांतरण रोधी कानून के प्रति जागरूकता की है जरूरत
आम लोगों, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को मतांतरण रोधी कानून के प्रति जागरूकता की जरूरत है। इसके लिए सरकार को चाहिए कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को जागरूकता की जिम्मेदारी दी जाए। मीडिया व गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से लोगों को जब मतांतरण रोधी कानून के प्रति जागरूक नहीं किया जाएगा, तब तक मतांतरण कराने में लगी संस्थाएं चिह्नित नहीं होगी और उनका असली चेहरा उजागर नहीं होगा।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।