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Corona Fighters: निगेटिव इसलिए हो पाया, क्योंकि जिंदगी को लेकर पॉजिटिव रहा

Corona Fighters Jharkhand Samachar रांची विश्‍वविद्यालय के प्रोफेसर ने कहा कि कुछ दिन आइसाेलेशन में रहा। लेकिन जब ठीक नहीं हो रहा था और समस्या बढ़ी तो अस्पताल में भर्ती हुआ। इसके बाद पति-पत्नी निगेटिव होकर वापस अभी घर पर हूं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Updated: Sat, 01 May 2021 12:03 PM (IST)
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रांची विश्‍वविद्यालय के प्रोफेसर ने कहा कि कुछ दिन आइसाेलेशन में रहा।
रांची, जासं। मैं निगेटिव इसलिए हो पाया, क्योंकि जिंदगी को लेकर पॉजिटिव रहा। काेराेना पॉजिटिव हो गए तो आप भी अपनी सोच को पॉजिटिव कर लीजिए तो आपका टेस्ट निगेटिव आ जाएगा। आप आजमा के देखें, फर्क महसूस होने लगेगा। क्या कोरोना से पहले लोगों की मौत नहीं होती थी। यह भी अन्य रोगों की तरह एक रोग है। अन्य रोगों की दवाई है और कोरोना की सबसे बड़ी दवाई है सकारात्मक सोच, डाॅक्टर की सलाह को मानना, खान-पान पर विशेष ध्यान रखना और स्वजनों का मानसिक संबल।

यह कहना है रांची विवि के समाजशास्त्र विभाग के प्रोफेसर डाॅ. प्रभात सिंह का। ये कहते हैं कि मैं और मेरी पत्नी रेणु सिंह दोनों संक्रमित हो गए। कुछ दिन आइसाेलेशन में रहा। लेकिन जब ठीक नहीं हो रहा था और समस्या बढ़ी तो अस्पताल में भर्ती हुआ। इसके बाद पति-पत्नी निगेटिव होकर वापस अभी घर पर हूं। कमजोरी है, लेकिन खान-पान से धीरे-धीरे बेहतर महसूस कर रहा हूं।

स्वजनों का चाहिए भरपूर सहयोग

डाॅ. प्रभात सिंह ने कहा कि मुझे ब्ल्ड प्रेशर और डायबिटीज तथा पत्नी को लीवर में समस्या है। पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद बेटा-बेटी, बहू, दामाद सभी घबरा गए। बेटा अमेरिका में रहता है। उसने कहा कि मैं आ जाता हूं। लेकिन मैंने मना कर दिया। कहा, अस्पताल में मिलने नहीं देगा। बेटी और दामाद ने यहां सारी व्यवस्था की। बेटा ऑनलाइन सब किया। यानी इस समय स्वजनों का खूब सहयोग चाहिए जो मुझे मिला। सहयोगी भी फोन पर हालचाल लेते रहे। खानपान का विशेष ध्यान रखा। शाकाहारी चीजें अधिक खानी चाहिए। भूख नहीं लगे फिर भी यह सोच कर खाएं कि इसी से मेरी जिंदगी बचेगी।

मौत की तरफ तो कभी ध्यान गया ही नहीं

प्रभात सिंह कहते हैं कि मेरा उस तरफ कभी ध्यान ही नहीं गया कि मेरी मौत भी हो जाएगी। मैं तो बस यही सोचता रहा कि जल्द ही ठीक हो जाऊंगा। उन्हेांने कहा कि डरने से नहीं, हौसला बनाए रखने से कोरोना से जीत होती है। कहा, मेरे दिमाग में यही बात रहती थी कि कोरोना से जो कुछ प्रतिशत लोग मर रहे हैं तो वह कुछ प्रतिशत में मैं ही क्यूं हो सकता हूं। मेरे पास मेरे परिवार, मेरे सहयोगी, मेरे स्टूडेंट्स की शुभकामनाएं थी।

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