फैमिली प्लानिंग में देरी करने पर संतान सुख से हो सकते हैं वंचित, यहां पढ़ें डॉक्टर के जरूरी टिप्स
Family Planning Tips समय पर शादी और फैमिली प्लानिंग करना सबसे समझदारी की बात होती है। शादी की सही उम्र 26 से 30 साल है। इस बीच फैमिली प्लानिंग करना खुद के लिए और बच्चे के लिए भी फायदेमंद होता है। बदलती लाइफस्टाइल में लोग इसे प्राथमिकता नहीं देते और बाद में कई संतान सुख से वंचित हो जाते हैं।
जागरण संवाददाता, रांची। देर से विवाह होने और देर से फैमिली प्लानिंग करने से संतान सुख से दंपत्ती दूर हो रहे हैं। इसे अगर गंभीरता से समझा जाए तो समय पर विवाह करना सबसे समझदारी की बात होती है।
विवाह का सही उम्र 26 से 30 वर्ष तक का है, इस बीच फैमिली प्लानिंग करना खुद के लिए और बच्चे के लिए भी फायदेमंद साबित होता है। लेकिन, लोग बदलती लाइफस्टाइल में इन चीजों को प्राथमिकता नहीं देते और बाद में कई संतान सुख से वंचित हो जाते हैं।
यह बातें मिराई फर्टिलिटी एंड आईवीएफ सेंटर बरियातू की डॉ. सर्बजया सिंह ने बुधवार को दैनिक जागरण में आयोजित प्रश्न पहर कार्यक्रम के दौरान पाठकों के सवालों का जवाब देते हुए कही।
उन्होंने बताया कि इंफर्टिलिटी आज एक बड़ी समस्या बन चुकी है, चाहे महिलाओं में अंडा का नहीं बनना हो या पुरुषों में स्पर्म काउंट का कम होना।
इन समस्या का सही समाधान टेस्ट ट्यूब बेबी है, जिसका प्रयोग कर लाखों दंपत्ती आज संतान सुख ले रहे हैं। इससे न ही मां बनने में कोइ समस्या आती है और न ही भविष्य में इससे कोई परेशानी होती है। प्रस्तुत है पाठकों के कुछ प्रमुख सवालों के जवाब।
12 वर्षों से बच्चा नहीं हो पा रहा है। डाक्टर ने बताया कि पत्नी का एक तरफ का ट्यूब बंद होने की वजह से बच्चा नहीं ठहर रहा। क्या उपाए है। - रीतेश
इस तरह की समस्या से कई दंपत्ती परेशान हैं। महिलाओं में ट्यूब बंद होने की कई वजह हो सकती है, जिसमें संक्रमण के साथ-साथ कई अंदरूनी समस्या हो सकती है।
इसका इलाज है लेकिन इसके बाद भी बच्चा होने की उम्मीद न के बराबर रहती है। इसलिए इसका सबसे सरल और कारगर उपाए टेस्ट ट्यूब बेबी (आइवीएफ) ही है।
इसमें महिला के अंडे को निकालकर पुरुष के स्पर्म के साथ रिएक्ट कर कई तरह के विधि को अपनाते हुए महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है। इसका रिजल्ट काफी अच्छा रहा है और संतान की प्राप्ति से परिवार खुशहाल जीवन जी रहा है।
आइवीएफ कराने में क्या खर्च आता है - कुंदन
आइवीएफ कराने में कम से कम डेढ़ लाख से शुरुआत हो सकती है। यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। इसमें कभी -कभी डोनर से भी मदद लेनी पड़ती है, जिस वजह से डोनर को भी मोटी रकम दिया जाता है।
ऐसे में खर्च बढ़ सकता है, लेकिन इसके परिणाम अच्छे निकलते हैं और बच्चा के होने से माता-पिता समाज में शान से जीते हैं।
आइवीएफ से महिला के शरीर में कोई बुरा असर पड़ता है क्या - विवेक
आइवीएफ से कोई समस्या नहीं होती। यह विधि पूरी तरह से सुरक्षित है, जिस पर आज करोड़ों लोगों ने भरोसा किया है और आगे भी कर रहे हैं।
आइवीएफ की प्रक्रिया में महिला के शरीर में कोई बुरा असर न हीं पड़ता, न ही भविष्य में मां या बच्चे पर कोई बुरा प्रभाव दिखता है। बल्कि बच्चा हेल्दी भी रहता है और बेहतर व सामान्य जिंदगी जीता है।
शुक्राणु कम होता है, कैसे इसे ठीक किया जाए। - अनुराग
सामान्य तौर पर पुरुषों में कम से कम 15 मिलियन से अधिक शुक्राणु होनी चाहिए, तब ही वे पिता का सुख प्राप्त कर सकते हैं।
शुक्राणु के कम होने की बीमारी को एजोस्पर्मिया कहा जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिसमें पोस्ट्रेट का बढना, कमजाेरी व अन्य बीमारी शामिल है।
इसे ठीक भी किया जा सकता है, लेकिन आइवीएफ के माध्यम से शुक्राणु को निकाल आगे की प्रक्रिया की जाती है, जिससे वे पिता का सुख प्राप्त कर सकते हैं।
कितनी उम्र तक मां या पिता बना जा सकता है। - सुरभि कुमारी
आइवीएफ के द्वारा माता बनने की अधिकतम उम्र 51 वर्ष है जबकि पिता के लिए यह 55 वर्ष है। एआरटी बिल के अनुसार ही सारे नियमों को माना जाता है। जिसमें इस उम्र के बाद कानूनन आइवीएफ नहीं किया जा सकता।
लोगों को यह भी जानना जरूरी है कि महिलाओं में 35 की उम्र के बाद बच्चा करने में समस्या आ सकती है। इसलिए पहले ही फैमिली प्लानिंग करना जरूरी है।
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