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कोर्ट की मनाही के बावजूद दुमका में मकान पर चला बुलडोजर, उच्च न्यायालय की फटकार; 5 लाख मुआवजा देने का दिया आदेश

झारखंड के दुमका में प्रशासन ने अदालत द्वारा कार्रवाई पर रोक लगाने के बावजूद मकान पर बुलडोजर चला दिया। इस संबंध में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को मकान को फिर से बनाने और प्रार्थी को पांच लाख मुआवजा देने का आदेश सरकार को दिया है। यह याचिका घर के मालिक ओमप्रकाश ने दायर की है।

By Jagran News Edited By: Mohit Tripathi Updated: Wed, 31 Jul 2024 11:23 AM (IST)
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कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने पर उच्च न्यायालय ने सरकार को लगाई फटकार।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाईकोर्ट में अतिक्रमण बताकर मकान तोड़े जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने मकान फिर से बनाने और प्रार्थी को पांच लाख मुआवजा देने का निर्देश सरकार को दिया है। इस संबंध में ओमप्रकाश ने याचिका दायर की है।

अदालत ने आदेश में कहा कि जब हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में प्रार्थी ने निर्धारित समय में अपीलीय प्राधिकार में अपील दाखिल कर दिया था।

कोर्ट ने मकान नहीं तोड़ने का आदेश दिया था, तो उनका मकान क्यों तोड़ा गया। मकान तोड़ने के पहले झारखंड सरकारी जमीन अतिक्रमण एक्ट के तहत कोई कार्यवाही भी नहीं चलाई गई।

क्या है पूरा मामला

मामले में दुमका सदर सीओ ने उनकी जमीन को अतिक्रमण बताते हुए दो सप्ताह में हटाने का नोटिस आठ जून 2016 को दिया था।

कुछ समय बाद फिर से सीओ ने प्रार्थी की जमीन खाली करने का आदेश दिया, ऐसा नहीं करने पर उसे तोड़ने का आदेश दिया गया। इसके खिलाफ प्रार्थी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

कोर्ट ने कार्रवाई पर लगाई थी रोक 

प्रार्थी ने कोर्ट को बताया कि उक्त जमीन पर वह वर्ष 1949 से रह रहे हैं। पूर्व में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने प्रार्थी को दो सप्ताह में सक्षम प्राधिकार के पास अपील दाखिल का आदेश था। साथ ही, इस दौरान किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया था।

प्रार्थी ने समय सीमा के अंदर दायर की थी अपील

कोर्ट के आदेश के आलोक में प्रार्थी ने निर्धारित समय सीमा के दौरान एसडीओ दुमका के पास अपील दायर की। एसडीओ ने दो सप्ताह की अवधि पूरा होने के बाद बुलडोजर से उनके मकान को तोड़ दिया। जबकि उसकी अपील लंबित थी।

मकान तोड़ने के पहले एसडीओ ने अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह अपील एडिशनल कलेक्टर के पास दाखिल की जानी थी।

प्रार्थी ने दोबारा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा कि गलत जगह अपील दाखिल करने के बावजूद उनकी अपील को एसडीओ खारिज नहीं की कर सकते। वह संबंधित प्राधिकार के पास उनकी अपील भेज सकते थे।

राज्य सरकार का क्या कहना था

राज्य सरकार का कहना था कि वर्ष 2009 में यह जमीन झारखंड सरकार को ट्रांसपोर्ट विभाग के लिए आवंटित की गई है। इससे पहले एकीकृत बिहार के समय यह जमीन बिहार राज्य ट्रांसपोर्ट के लिए वर्ष 1959 में अधिग्रहित की गई थी।

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