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धधकते अंगारों से होकर नंगे पैर गुजरे श्रद्धालु... प्राचीन नगरी चुटिया में दिखी अनूठी परंपरा, देखें तस्वीरें

Ranchi News राजधानी रांची के सबसे प्राचीन नगरी चुटिया में मंडा पर्व का अनुष्ठान शुक्रवार को शुरू हुआ था। इस दौरान पर्व का फुलकुष्ठी अनुष्ठान हो रहा था। शुक्रवार रात पवित्रता शुद्धता और साधना की परीक्षा हुई। धधकते अंगारों पर भोक्ताओं ने नंगे पांव चलकर भक्ति और शक्ति का परिचय दिया। आदिवासी और मूलवासी दोनों को जोड़ने वाला यह पर्व है।

By sanjay krishna Edited By: Shashank Shekhar Updated: Sat, 13 Apr 2024 10:39 AM (IST)
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धधकते अंगारों से होकर नंगे पैर गुजरे श्रद्धालु... प्राचीन नगरी चुटिया में दिखी अनूठी परंपरा, देखें तस्वीरें
जागरण संवाददाता, रांची। आग की लपटें आसमान को छूने को बेताब दिख रही थीं और हजारों दर्शक भोक्ताओं को इस जलते अंगारे पर नंगे पांव देखने को व्यग्र थे। धीरे-धीरे आग की लपटें शांत हुईं तो लाल-लाल अंगारे की गर्मी दूर-दूर बैठे भक्तों को झुलसा देना चाहती थी।

यह मंडा पर्व का फूलकुंदी अनुष्ठान था। फूलकुंदी यानी जब अंगारे फूल की तरह कोमल हो जाएं। मंडा पर्व आदिवासी और मूलवासी दोनों को जोड़ने वाला पर्व। दोनों की सहभागिता।

शहर के सबसे प्राचीन नगरी चुटिया के मंडा मैदान में शुक्रवार की आधी रात पवित्रता, शुद्धता और साधना की यह परीक्षा थी। पहले भोक्ताओं ने अग्नि की परिक्रमा की। इसके बाद धीरे-धीरे एक-एक भोक्ता आयताकार आग पर चलने लगा। नंगे पांव। न पैरों में छाला पड़ा न शरीर का कोई अंग झुलसा। मानो, वह आग ही न हो। एक अप्रैल से चल रहे इस अनुष्ठान का अंतिम चरण था।

पवित्रता का पूरा ध्यान भोक्ताओं को रखना पड़ता है, जिसने इसका ध्यान नहीं रखा, उसे आग झुलसा सकती है, परन्तु यहां तो हर भोक्ता इस परीक्षा में पास हो गया। हजारों आंखों शाम से ही इस चमत्कारी दृश्य को देखने को आतुर थी। आधी रात उसकी यह मनोकामना पूरी हुई।

सुबह से शुरू हो गए थे अनुष्ठान

मंडा पर्व का अनुष्ठान तो शुक्रवार की सुबह से ही शुरू हो गया था। सबसे पहले स्वर्णरेखा नदी पर स्थित दादुल घाट पहुंचकर वहां पर मिट्टी की ढकनी को भोक्ताओं ने बालू से बने शिवलिंग पर हाथों से फोड़ा। मान्यता है कि जिस भोक्ता का ढंकनी फूट गई उसकी तपस्या सफल और जिस भोक्ता की ढंकनी नहीं टूटी उसे पंडितजी द्वारा दंड का प्राविधान है। इस अनुष्ठान के बाद सभी भोक्ता नगर भ्रमण पर निकल गए।

इसके बाद शाम में फूलकुंदी के लिए भोक्ता चुटिया के मुख्य मार्ग के घरों से लकड़ी लेकर आए। लकड़ी जमा कर के फिर दूसरे अनुष्ठान में लग गए। इसे लोटन सेवा कहा जाता है। इसमें सभी भोक्ता एक दूसरे को आपसी भाईचारा का परिचय देते हुए 21 बार गले मिलते हैं फिर लपरा भांजने (धुआंसी) का समय आता है। इस समय भोक्ताओं को एक खूंटे में उल्टा लटकाकर अग्निकुंड में आस्था का परिचय दिलाया जाता है।

फिर समय आता है निशा पानी लाने का अनुष्ठान। पाटभोक्ता निशा पानी एक घड़े में लाने के लिए हटिया तालाब गए। इस दौरान पाट भोक्ता को पीछे मुड़कर नहीं देखना होता है। निशा पानी मंदिर में पहुंचने के बाद बकरे की बलि भी दी गई।

मंदिर में बाबा भोलेनाथ का श्रृंगार पूजा बले शिवा

मनी महेश काशी बैजनाथ उड़ीसा जगन्नाथ गजा गजाधर आधव माधव गौरीशंकर महेश दाता दिगम महेश बले शिवा मनी महेश’ के जयकारे से हुआ। अंतिम अनुष्ठान में भोक्ताओं ने जलते अंगारे पर नंगे पांव चलकर अपनी भक्ति और शक्ति का परिचय दिया।

शनिवार को दोपहर में प्राचीन श्री राम मंदिर से महादेव मंदिर तक शिव भक्तों की शोभायात्रा एवं राधा चक्र निकाला जाएगा। शाम में महादेव मंडा के प्रांगण में झूलन एवं मेले का आयोजन किया गया है।

भक्तों ने मेले का लिया आनंद

मंडा परिसर में मेले का भी आयोजन हुआ था। कानपुर और उज्जैन से आए कलाकारों ने मनमोहक नृत्य पेश किया। इसके पूर्व चंद्रशेखर आजाद दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष व भाजपा नेता रमेश सिंह, विधायक सीपी सिंह, पद्मश्री मुकुंद नायक ने दीप जलाकर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया।

मुख्य अतिथि हटिया विधायक नवीन जायसवाल, पूर्व उप महापौर संजीव विजयवर्गीय, मुनचुन राय, कुणाल अजमानी, नेपाल महतो, दिलीप स्वर्णकार, अशोक साहू, अरविंद साहू जितेंद्र सिंह पटेल सहित झारखंड के विभिन्न मंडा पूजा कमेटी के अध्यक्ष भी शामिल हुए। कार्यक्रम आधी रात तक चला।

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