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Jharkhand Assembly Election: भाजपा-AJSU के बीच सीट बंटवारे पर दिल्ली में होगा मंथन, जल्द सबकुछ हो जाएगा क्लियर!

झारखंड में विधानसभा चुनाव की आहटें तेज होने लगी है। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों की तैयारियां शुरू हो गई है। भाजपा पिछले चुनाव में मिली हार का सबक लेते हुए इस बार अभी से ही रणनीति बनाने में लगी होगी। हालांकि एनडीए और आइनडीआइए में सीट बंटवारे पर पेंच फंसता नजर आ रहा है। इसी बीच भाजपा का सहयोगी दल आजसू के अध्यक्ष दिल्ली पहुंचे हैं।

By Pradeep singh Edited By: Shashank Shekhar Updated: Wed, 24 Jul 2024 09:47 PM (IST)
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भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, रांची। साल के अंत में होने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की गतिविधियां तेज हैं। एनडीए और आइएनडीआइए दोनों ही गठबंधन के घटक दलों में सीटों के बंटवारे को लेकर भी माथापच्ची चल रही है। भाजपा की सहयोगी पार्टी आजसू के अध्यक्ष सुदेश महतो भाजपा के बुलावे पर दिल्ली पहुंचे हैं।

माना जा रहा है कि दोनों दलों में सीटों के बंटवारे पर बात होगी। राज्य की 81 सीटों में भाजपा आठ सीटें आजसू पार्टी को देने को तैयार है। बताया जाता है कि आजसू पार्टी की दावेदारी अधिक सीटों पर है। कई ऐसी सीटों पर भी आजसू दावा कर रही है, जहां से भाजपा के विधायक निर्वाचित होते रहे हैं।

उदाहरण के तौर पर ईचागढ़ सीट का नाम लिया जा रहा है। यह सीट पूर्व में भाजपा के पास रही है। आजसू पार्टी यहां से अपना उम्मीदवार देना चाहती है। कुछ अन्य सीटों पर भी ऐसी ही समीकरण उभर रहे हैं। ऐसे में तालमेल को लेकर दबाव का दौर चलेगा। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने तालमेल के तहत गिरिडीह संसदीय सीट आजसू पार्टी को दिया था। यहां से आजसू पार्टी के प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चौधरी विजयी हुए।

पिछले चुनाव में समझौता नहीं होने का पड़ा था असर

पिछले विधानसभा चुनाव में समझौता नहीं होने का नुकसान भाजपा और आजसू पार्टी दोनों को उठाना पड़ा था। उक्त चुनाव में भी आजसू पार्टी ने अधिक सीटों की दावेदारी की थी। बातचीत का क्रम भी लंबा चला था। तालमेल के बिंदुओं पर सहमति नहीं बनने के कारण आजसू पार्टी को अकेले चुनाव में जाने का निर्णय करना पड़ा।

आजसू पार्टी ने 50 से अधिक विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी दिए थे। इसमें से दो स्थानों पर सफलता हाथ लगी। एनडीए के रणनीतिकारों ने यह महसूस किया गया कि साथ नहीं लड़ने के कारण दोनों दलों को नुकसान हुआ। भाजपा काफी पीछे चली गई और हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले गठबंधन को सरकार बनाने में कामयाबी मिली।

इसे देखते हुए इस बार अत्यधिक सतर्कता बरती जा रही है। भाजपा नेताओं के साथ आजसू प्रमुख सुदेश महतो की कई दौर की बैठकें हो चुकी है। सुदेश महतो ने हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की है। भाजपा के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान समेत अन्य प्रमुख नेताओं से भी उनकी मुलाकात हुई है। यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव में अपने-अपने दलों में टिकट की दौड़ में पिछड़े कई वरीय नेताओं ने भी आजसू पार्टी का दामन थामा था।

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