सरकारी अस्पताल जाने वाले गरीब मरीजों की हालत पस्त, दवाइयों के चक्कर में जेबें हो रहीं खाली; आखिर ऐसी नौबत आने की क्या है वजह?
सरकारी अस्पतालों में जाने वाले मरीज चाहते हैं कि पर्ची वगैरह काटकर लाइन वगैरह लगाकर कुछ पैसे बचा लें क्योंकि हर किसी के बस में डॉक्टर के निजी क्लीनिक का खर्च उठाने के पैसे नहीं है। ऐसे में अब सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर ही ब्रांडेड दवाइयां लिखने लगे तो मरीज कहां जाए। डॉक्टर अधिकतर जिस एमआर के संपर्क में रहते हैं उसी कंपनी की दवाइयां लिखते हैं।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Thu, 07 Dec 2023 10:34 AM (IST)
जासं, रांची। सरकारी अस्पतालों के डाक्टर मरीजों को नहीं लिखते हैं जेनरिक दवा। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने शुरू से ही जेनरिक दवा लिखने का निर्देश दिया है। फिर भी सरकारी डाक्टर जेनरिक दवाओं पर विश्वास नहीं जता पा रहे हैं और मरीजों को सिर्फ ब्रांडेड दवा ही लिखते हैं, जिससे जो मरीज पांच या 10 रुपये की पर्ची कटवाकर डाक्टर से दिखाने पहुंचते हैं।
ब्रांडेड दवा खरीदने में मरीजों की हालत पस्त
उन्हें एक बार में कम से कम 1000 रुपये का ब्रांडेड दवा लेनी पड़ रही है। यह स्थिति सदर अस्पताल से लेकर रिम्स तक की है। प्रखंडों के सीएचसी और पीएचसी में भी ब्रांडेड दवा ही लिखी जा रही है।
हालांकि, इन ग्रामीण अस्पतालों में सरकार द्वारा ही निश्शुल्क दवा उपलब्ध करायी गई है। फिर भी कुछ दवाओं के लिए इन्हें ब्रांडेड दवा खरीदनी पड़ती है।
कई बार आदेश जारी हुआ लेकिन कुछ हुआ नहीं
मरीजों को ब्रांडेड दवा ही लिखने को लेकर कई बार बड़े अधिकारियों द्वारा आदेश जारी किया गया है। लेकिन सरकारी डाक्टर उन्हीं ब्रांडेड दवा को लिखते हैं जिस कंपनी के एमआर उनके संपर्क में रहते हैं।
ऐसी स्थिति को देखने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जबकि इन आदेशों को निकालने वाले खुद सिविल सर्जन और रिम्स निदेशक हैं। जो हमेशा एनएमसी और स्वास्थ्य विभाग का हवाला देते हुए डाक्टरों को तत्काल प्रभाव से जेनरिक दवा ही लिखने का आदेश देते हैं।
रिम्स के कुछ डाक्टर भी नहीं लिखते जेनरिक दवा
रिम्स मेडिसिन विभाग के कुछ डाक्टर मरीजों को जेनरिक दवा लिखते हैं। डा. बी कुमार बताते हैं कि वो हमेशा मरीजों को सिर्फ जेनरिक दवा ही लिखते हैं। साथ ही मरीजों को यह भी बताया जाता है कि वे पीएम जन औषधि केंद्र जाकर ही दवा खरीदें।
उन्होंने बताया कि पीएम जनऔषधि की दवा दूसरे जेनरिक दवाओं से बेहतर है। इसी दवा पर विश्वास किया जा सकता है। साथ ही इन दवाओं की कीमत इतनी कम होती है कि कोई सोच भी नहीं सकता। ब्रांडेड दवाओं की तुलना में इन दवाओं की कीमत 80 प्रतिशत तक कम होती है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।यह भी पढ़ें: 'कांग्रेस सरकार में हिंदुओं की जान की कीमत नहीं' करणी सेना के अध्यक्ष की हत्या पर झारखंड में आक्रोश; दे डाली चेतावनी यह भी पढ़ें: अमन सिंह हत्याकांड: जेल में कैसे पहुंचा हथियार, दोषी कौन; जांच को धनबाद भेजी गई जेल अफसरों की तीन सदस्यीय टीमडाक्टरों को कई बार जेनरिक दवा लिखने का निर्देश दिया जा चुका है। लेकिन वे जेनरिक दवा नहीं लिख रहे हैं। इसे लेकर फिर से सभी डाक्टरों के साथ बैठक कर उन्हें दिशा-निर्देश दिया जाएगा ताकि मरीजों को सस्ते दर पर गुणवक्तता पूर्ण दवा मिल सके - डा. प्रभात कुमार, सिविल सर्जन, रांची।