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Lok Sabha Election 2024: इन दिग्‍गजों का कटेगा पत्ता, हेमंत सोरेन जेल से ही ठोकेंगे ताल; इस सीट से लड़ सकते हैं चुनाव

Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। इसे लेकर राजनीतिक पार्टियां जमकर तैयारी कर रही हैं। झारखंड की बात करें तो इस बार कई कद्दावर चुनाव नहीं लड़ेंगे। इनमें झामुमो के अध्यक्ष शिबू सोरेन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी हेमलाल मुर्मू जैसे कई दिग्‍गज शामिल थे। बताया जा रहा है कि हेमंत सोरेन जेल से ही चुनाव लड़ेंगे।

By Neeraj Ambastha Edited By: Arijita Sen Published: Mon, 18 Mar 2024 10:50 AM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2024 10:50 AM (IST)
झारखंड के पूर्व मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन की फाइल फोटो।

नीरज अम्बष्ठ, रांची। झारखंड में इस बार लोकसभा चुनाव (Lo Sabha Election 2024) में काफी कुछ बदला हुआ है। इस बार के लोकसभा चुनाव में झारखंड के कई कद्दावर नेता चुनाव मैदान में नजर नहीं आएंगे। पांच दशकों में झारखंड की राजनीति में दमदार धमक रखने वाले आठ बार के सांसद व झामुमो के अध्यक्ष शिबू सोरेन (Shibu Soren) के इस बार बढ़ती उम्र की वजह से चुनाव मैदान में उतरने पर संशय है।

चुनावी मैदान में नहीं दिखाई देंगे कई दिग्‍गज

वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) भी इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। वर्ष 2009 से अब तक लगातार तीन बार लोहरदगा संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव जीतने वाले सुदर्शन भगत इस बार टिकट नहीं मिलने से चुनाव नहीं लड़ेंगे। पार्टी ने उनकी जगह राज्यसभा सदस्य समीर उरांव को टिकट दिया है। कई अन्य दिग्गजों के भी चुनाव लड़ने पर संशय है।

जेल से चुनाव लड़ सकते हैं हेमंत सोरेन

इसी वर्ष 11 जनवरी को अपना 80वां जन्मदिन मनाने वाले सबसे धाकड़ नेता शिबू सोरेन के बारे में कहा जा रहा है कि वह इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे। शिबू वर्तमान में राज्यसभा सदस्य भी हैं। उनकी जगह सोरेन परिवार के किसी सदस्य के चुनाव लड़ने की चर्चा है।

कयास यह भी लगाया जा रहा है कि स्वयं हेमंत सोरेन (Hemant Soren)  भी जेल से ही दुमका से चुनाव लड़ सकते हैं। वर्ष 2019 के पिछले चुनाव में शिबू सोरेन को भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन ने हराया था। इससे पहले वे आठ बार दुमका संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके थे।

वर्ष 1980 में पहली बार जीतने के बाद शिबू सोरेन वर्ष 1989, 1991, 1996, 2002, 2004, 2009 और 2014 के आम चुनावों में यहां अपना परचम लहराते रहे। दुमका सीट पर उनकी सिर्फ़ तीन बार हार हुई। पहली बार 1984 में कांग्रेस के पृथ्वी चंद किस्कू ने उन्हें शिकस्त दी। इसके बाद वर्ष 1998 और 1999 के चुनावों में उन्हें भाजपा प्रत्याशी के रूप में बाबूलाल मरांडी ने हराया था।

हेमलाल मुर्मू के भी चुनाव लड़ने पर संशय

बाबूलाल मरांडी वर्ष 2019 के चुनाव में गठबंधन के तहत उनके पक्ष में प्रचार कर रहे थे। उस समय वे झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष थे। बाबूलाल ने पिछला लोकसभा चुनाव कोडरमा से झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर लड़ा था, जहां अन्नपूर्णा देवी से उन्हें हार मिली थी।

भाजपा (BJP) में वापसी के बाद अब मरांडी वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। झारखंड के एक और कद्यावर नेता हेमलाल मुर्मू के भी चुनाव लड़ने पर संशय है।

हेमलाल ने राजमहल संसदीय सीट से वर्ष 2004 में जीत हासिल की थी। हालांकि वर्ष 2014 में ये झामुमो छोड़कर भाजपा चले गए थे। भाजपा के टिकट पर वर्ष 2014 तथा 2019 में उन्होंने राजमहल से चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों चुनावों में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा।

लगभग नौ वर्ष बाद इनकी झामुमो में वापसी हो गई है। राजमहल से ही लगातार दो बार चुनाव जीत चुके झामुमो के विजय हांसदा को ही वहां से इस बार भी टिकट मिलने की उम्मीद है। ऐसे में हेमलाल के चुनाव लड़ने पर संशय है।

न तो दिखेंगे लक्ष्मण, न ही जगरनाथ

सिंहभूम संसदीय सीट से चुनाव लड़नेवाले लक्ष्मण गिलुवा तथा गिरिडीह से पिछले लगातार दो चुनावों में अपना भाग्य आजमाने वाले जगरनाथ महतो की कमी भी इस लोकसभा चुनाव में उनके प्रशंसकों को खलेगी । दोनों का आकस्मिक निधन कोरोना के कारण हुआ था।

गिलुवा ने सिंहभूम से वर्ष 1999 तथा 2014 में भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी। जबकि 2004 तथा 2019 में उनकी कांग्रेस प्रत्याशी क्रमश: बागुन सुम्ब्रई तथा गीता कोड़ा से हार मिली थी। वहीं, जगरनाथ महतो ने वर्ष 2014 तथा 2019 में गिरिडीह से झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ा था। हालांकि दोनों बार उन्हें जीत नहीं मिल सकी थी।

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