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डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय: NIEPA नई दिल्ली ने DSPMU रांची को बनाया शोध अध्ययन केंद्र

Dr Shyama Prasad Mukherjee University Ranchi राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय (NIEPA) नई दिल्ली शैक्षिक योजना और प्रशासन की दिशा में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा स्थापित देश का प्रमुख संगठन है। इसने डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (DSPMU) रांची को अपने शोध अध्ययन का केंद्र चुना है।

By Jagran NewsEdited By: Sanjay KumarUpdated: Thu, 10 Nov 2022 09:26 AM (IST)
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Dr Shyama Prasad Mukherjee University, Ranchi: NIEPA नई दिल्ली ने DSPMU रांची को बनाया शोध अध्ययन केंद्र।

रांची, जासं। Dr Shyama Prasad Mukherjee University, Ranchi राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय नई दिल्ली, शैक्षिक योजना और प्रशासन की दिशा में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा स्थापित देश का प्रमुख संगठन है। इसी संदर्भ में इसने डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय रांची को अपने शोध अध्ययन का केंद्र चुना है। ताकि इससे संबंधित आंकड़े आवश्यकता के अनुसार केंद्रीय मानव विकास मंत्रालय को दिए जा सके। इसके तहत डा सुधांशु भूषण, जो राष्ट्रीय शैक्षिक योजना और प्रशासन संस्थान में उच्च और व्यवसायिक शिक्षा विभाग में प्रोफेसर और प्रमुख हैं, ने डीएसपीएमयू में उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति, शोध कार्य, आधारभूत संरचना की जानकारी प्राप्त की।

बता दें कि प्रोफेसर डा सुधांशु भूषण उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण, उच्च शिक्षा के नीतिगत मुद्दों व शैक्षिक योजनाओं की दिशा में काफी लंबी अवधि से कार्यरत हैं और अनुभवी शिक्षाविद माने जाते हैं। अपने शोध कार्य में गुणवत्ता और सटीकता के उद्देश्य से उन्होंने दो स्तरों पर विश्वविद्यालय प्रशासन से संवाद किया। उन्होंने कुलपति डा तपन कुमार शांडिल्य से विश्वविद्यालय से संबंधित उनकी दृष्टि, विशेषताओं और विश्वविद्यालय की वर्तमान और आने वाली चुनौतियों और संस्थागत विकास से संबंधित योजनाओं की चर्चा की।

नए व्यवसायिक और रोजगारपरक पाठ्यक्रमों की होगी शुरूआत

कुलपति ने विश्वविद्यालय की भावी योजनाओं से उन्हें अवगत कराया। साथ ही उन्हें आश्वस्त किया कि आने वाले कुछ समय में संसाधनों की कमियों को पूरा कर यह विश्वविद्यालय अपने अकादमिक, शोध और आधारभूत संरचना की दिशा में देश में एक अग्रणी संस्थान बनेगा। उन्होंने भविष्य में इस विश्वविद्यालय के तहत कई नए व्यवसायिक और रोजगारपरक पाठ्यक्रमों के प्रारंभ करने की बात कही।

विश्वविद्यालय छात्रावास का कराया जाएगा निर्माण

कुलपति ने कहा कि रांची कालेज से विश्वविद्यालय बनने के बाद एक बड़ा परिवर्तन ग्रामीण छात्राओं की बढ़ती संख्या है। जिनमें कई दूरस्थ स्थानों से अध्ययन के लिए आती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के सहयोग से अतिशीघ्र उनके लिए विश्वविद्यालय छात्रावास का निर्माण किया जाएगा। वर्तमान में यह विश्वविद्यालय विद्यार्थियों की संख्या, गुणवत्ता और शिक्षकों की अकादमिक गुणवत्ता के कारण प्रतिदिन प्रगतिशील है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय संसाधनों के अभाव में अपनी प्रगति को अवरूद्ध नहीं कर सकता। आने वाले वित्तीय वर्ष में विश्वविद्यालय कई ऐसे रोजगारपरक पाठ्क्रम शुरू करेगा। जिसके माध्यम से राजस्व की प्राप्ति होगी और जो विश्वविद्यालय की आर्थिक ढांचे को मजबूती प्रदान करेगा। अपने दूसरे चरण में प्रोफेसर डा सुधांशु भूषण ने विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के डीन, विभागाध्यक्षों और शिक्षकों से संवाद किया।

शिक्षकों को मानक पर खरा उतरना होगा

प्रोफेसर डा सुधांशु भूषण ने कहा कि शिक्षकों की प्रतिभा का मानक यह नहीं समझा जाना चाहिए कि उन्होंने कितने शोध किए या कितने शोध पत्रिकाओं का प्रकाशन किया। बल्कि उनके ज्ञान से कितने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन हुआ या कितने विद्यार्थी सशक्त हुए। विशेष तौर पर उन्होंने फर्स्ट जेनरेशन विद्यार्थियों की बात करते हुए शिक्षकों का आह्वान किया कि हमें उनके शैक्षिक स्तर पर जाकर उन्हें शिक्षा देना और उनका मार्गदर्शन करना चाहिए।

इसके बाद उन्होंने कला, मानविकी और विज्ञान संकाय के डीन के विश्वविद्यालय से संबंधित विचारों और सुझावों को सुना। विभिन्न विभागाध्यक्ष जिनमें भौतिकी, रसायन विज्ञान, जूलाजी, बाटनी, जियोलाजी, हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, भूगोल राजनीति विज्ञान शामिल थे और मैक्रोबायोलाजी, इलेक्ट्रानिक्स और इइएल के समन्वयक से उन्होंने नियुक्तियों में आटोनोमी, शिक्षकों की प्रोन्नति, विद्यार्थियों के नामांकन, पाठ्यक्रम में परिवर्तन और परीक्षा प्रणाली से संबंधित विचारों को जाना।

शिक्षकों की प्रोन्नति से अवगत हुए

उन्होंने इस क्रम में विश्वविद्यालय में शिक्षकों की प्रोन्नति पर विशेष तौर पर जानकारी ली और शिक्षकों की कमी से भी अवगत हुए। इस दौरान विश्वविद्यालय की अकादमिक और पाठ्यक्रम, नामांकन से संबंधित कई सुझाव भी दिए। अंतिम चरण में उन्होंने विश्वविद्यालय के शिक्षकों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शोध, प्रकाशन, जर्नल, मल्टी डिसिप्लिनरी प्रोग्राम और विद्यार्थियों के संबंध में बातचीत की। शिक्षकों से संबंधित शोध कार्य में सटीकता के उद्देश्य से उन्होंने एक प्रश्नावली के माध्यम से उनकी राय को जाना।

मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति के अलावे कुलसचिव डा नमिता सिंह, डीएसडब्ल्यू डा अनिल कुमार, वित्त पदाधिकारी डा आनंद मिश्रा, सभी संकायों के डीन, विभागाध्यक्ष और शिक्षकों की मौजूदगी रही।

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