दुमका दुष्कर्म केस: हाईकोर्ट ने अभियुक्तों की फांसी की सजा को किया निरस्त, तीनों को तत्काल रिहा करने का आदेश
झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पोक्सो एक्ट में दोषी तीन अभियुक्तों की फांसी की सजा को निरस्त करते हुए फिर से ट्रायल करने का आदेश दिया है। बता दें कि दुमका जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र में छह साल की बच्ची की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने तीनों अभियुक्तों को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है।
By Jagran NewsEdited By: Mohit TripathiUpdated: Sat, 21 Oct 2023 08:23 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर एवं जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की खंडपीठ ने पोक्सो एक्ट में तीन अभियुक्तों की फांसी की सजा को निरस्त करते हुए फिर से ट्रायल करने का आदेश दिया है।
दुमका जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र में छह साल की बच्ची की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। इस मामले में दुमका की पोक्सो अदालत ने मिट्ठू राय, अशोक राय और पंकज महली को फांसी की सजा सुनाई थी।
अभियुक्तों को तत्काल रिहा करने का दिया आदेश
अदालत ने इस मामले में फिर से ट्रायल करने का निर्देश दिया है, लेकिन इस बार अलग जज के यहां सुनवाई होगी। अदालत ने तीनों को तत्काल रिहा करने का भी आदेश दिया है।तीनों अभियुक्तों की ओर से झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से अधिवक्ता कुमार वैभव ने पक्ष रखा था। उनकी ओर से हाईकोर्ट में निचली अदालत की सजा के खिलाफ अपील दाखिल की गई थी।
अभियुक्तों को नहीं दिया गया पर्याप्त मौका
सुनवाई के दौरान कहा कि निचली अदालत ने एक माह में ट्रायल को पूरा करते हुए सजा सुना दी है। इस दौरान अभियुक्तों को पर्याप्त मौका नहीं दिया गया। हड़बड़ी में न्यायिक प्रक्रिया सही तरीके से पूरी नहीं की गई है। ऐसे में अभियुक्तों की सजा निरस्त की जाए।निचली अदालत को लगाई फटकार
अदालत ने सभी पक्षों को बहस पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बेवसाइट पर अपलोड आदेश में कोर्ट ने कहा है कि निचली अदालत के जज ने अपनी ड्यूटी सही तरीके से नहीं निभाई है।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने ने पहले से ही सजा देने मन बना लिया था और उसी के तहत आदेश पारित किया है। अदालत ने उक्त आदेश को ज्यूडिशियल एकेडमी में भेजकर जजों को ट्रेनिंग में प्रयोग लाने का निर्देश दिया है।
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